महाकुंभ के 10 प्रमुख स्नान, हर डुबकी से पाएंगे महापुण्य
- Ashish
- December 19, 2024
प्रयागराज में वर्ष 2025 में महाकुंभ शुरू होने जा रहा है। महाकुंभ में देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। महाकुंभ का आयोजन 12 साल में एक बार होता है। महाकुंभ में स्नान का विशेष महत्व है। महाकुंभ में स्नान करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि महाकुंभ में स्नान करने से व्यक्ति के पाप दूर हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार महाकुंभ में स्नान के लिए 10 प्रमुख तिथियां हैं।
महाकुंभ 2025 स्नान तिथियां
- महाकुंभ प्रथम स्नान तिथि: पौष शुक्ल एकादशी 10 जनवरी 2025 शुक्रवार
- महाकुंभ द्वितीया स्नान तिथि: पौष पूर्णिमा 13 जनवरी 2025 सोमवार
- महाकुंभ चतुर्थ स्नान तिथि: माघ कृष्ण एकादशी 25 जनवरी 2025, शनिवार।
- महाकुंभ पंचम स्नान तिथि: माघ कृष्ण त्रयोदशी 27 जनवरी 2025, सोमवार।
- महाकुंभ अष्टम स्नान तिथि: माघ शुक्ल सप्तमी (रथ सप्तमी) - 4 फरवरी, 2025 ई., मंगलवार।
- महाकुंभ नौवीं स्नान तिथि: माघ शुक्ल अष्टमी (भीष्माष्टमी) - 5 फरवरी, 2025 ई., बुधवार।
- महाकुंभ दशम स्नान तिथि: माघ शुक्ल एकादशी (जया एकादशी) - 8 फरवरी, 2025 ई., शनिवार।
- महाकुंभ ग्यारहवां स्नान तिथि: माघ शुक्ल त्रयोदशी (सोम प्रदोष व्रत)- 10 फरवरी 2025, सोमवार.
- महाकुंभ द्वादश स्नान तिथि: माघ पूर्णिमा, 12 फरवरी 2025, बुधवार.
- महाकुंभ त्रयोदश स्नान तिथि: फाल्गुन कृष्ण एकादशी, 24 फरवरी 2025, सोमवार।
- महाकुंभ चतुर्दश स्नान पर्व: महाशिवरात्रि, 26 फरवरी 2025, बुधवार.
नोट: महाकुंभ के आसपास की सभी प्रमुख पर्व तिथियों को प्रमुख स्नान की तिथि माना जाता है। इसलिए 10 जनवरी एकादशी तिथि को प्रमुख स्नान की तिथि माना गया है।
महाकुंभ शाही स्नान 2025
- महाकुंभ शाही स्नान तिथि: माघ कृष्ण प्रतिपदा मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025, मंगलवार।
- महाकुंभ छठा स्नान (दूसरा) प्रमुख शाही स्नान-माघ (मौनी) अमावस्या - 29 जनवरी, 2025 ईस्वी, बुधवार
- महाकुंभ सातवां स्नान, (तीसरा) (अंतिम) शाही स्नान - माघ शुक्ल पंचमी (बसंत पंचमी) - 2 फरवरी, 2025 रविवार।
नोट- बसंत पंचमी 2 फरवरी को सुबह 9:15 बजे से शुरू हो रही है और यह 3 फरवरी को सुबह 7:01 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी का अंतिम शाही स्नान 3 फरवरी को होगा।
महाकुंभ में स्नान का महत्व?
धार्मिक शास्त्रों में तीन पवित्र नदियों - त्रिवेणी संगम, यानि गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर माघ मास और कुंभ पर्व के दौरान स्नान, जप और दान का महत्व बताया गया है। नियमानुसार माघ स्नान से अधिक पवित्र और पाप नाश करने वाला कोई पर्व नहीं है। यदि कोई व्यक्ति माघ मास में कुंभ पर्व के दौरान प्रयागराज में तीन दिन भी नियमित स्नान करता है, तो उसे एक हजार अश्वमेध यज्ञ करने के समान पुण्य मिलता है।
महाकुंभ पर्व भारत की प्राचीन गौरवशाली वैदिक संस्कृति का सबसे बड़ा प्रतीक है। इस पर्व के अवसर पर देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। 'कुंभ' शब्द का अर्थ है एक साथ इकट्ठा किया गया घड़ा और 'कुंभ' का अर्थ संसार और ब्रह्मांड भी है। 'कर' शब्द का अर्थ है घर या घड़ा, संस्कृति, महात्माओं और सामान्य भक्तों का एकत्र होना कुंभ महापर्व कहलाता है। वेदों और पुराणों में कुंभ पर्व से संबंधित कई महत्वपूर्ण मंत्र और प्रसंग हैं, जो यह सिद्ध करते हैं कि कुंभ पर्व अत्यंत प्राचीन, प्रामाणिक और वैदिक धर्म से परिपूर्ण है। ऋग्वेद के दसवें मंडल के अनुसार कुंभ पर्व में जाने वाला व्यक्ति स्नान, दान और पुण्य करके अपने पापों का नाश करता है, जिस प्रकार कुल्हाड़ी जंगल को काट देती है। जिस प्रकार नदी अपने किनारों को काटती हुई बहती है, उसी प्रकार कुंभ पर्व व्यक्ति के पूर्व कर्मों के कारण संचित मानसिक और शारीरिक पापों का नाश करता है।
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