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विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day - 18 April): राजस्थान के स्मारकों में पर्यटकों का नि:शुल्क प्रवेश, पारंपरिक स्वागत का दृश्य

विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day - 18 April): राजस्थान के स्मारकों में पर्यटकों का नि:शुल्क प्रवेश, पारंपरिक स्वागत का दृश्य

आज राजस्थान बना संस्कृति का दरबार, स्मारकों में नि:शुल्क प्रवेश

 

जयपुर। आज 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर राजस्थान के सभी राजकीय स्मारक और संग्रहालय आमजन के लिए नि:शुल्क खोले गए हैं। विश्व धरोहर दिवस पर प्रदेशभर में विरासत स्थलों पर बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं। सरकार की इस पहल का उद्देश्य सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति जनजागरण और जुड़ाव को बढ़ावा देना है।

 

जयपुर के किले, महल और संग्रहालय आज पर्यटकों से गुलजार

 

राजधानी जयपुर के प्रमुख स्मारकों—आमेर फोर्ट, हवामहल, जंतर-मंतर, नाहरगढ़ फोर्ट और अल्बर्ट हॉल संग्रहालय—पर देसी और विदेशी पर्यटकों का तिलक और फूलमालाओं से पारंपरिक स्वागत किया जा रहा है। राजस्थान के किलों पर विशेष सजावट की गई है और कई स्थानों पर सांस्कृतिक गतिविधियों का भी आयोजन हो रहा है।

 

राजस्थान में 'अतिथि देवो भव:' की जीवंत झलक

 

राजस्थान आज अपने "अतिथि देवो भव:" की परंपरा को पूरी गरिमा के साथ निभा रहा है। आमेर फोर्ट की भव्यता, हवामहल की नाजुक बनावट, जंतर-मंतर की वैज्ञानिक दृष्टि, नाहरगढ़ फोर्ट से दिखता शहर का नज़ारा, और अल्बर्ट हॉल संग्रहालय की कलात्मक विविधता - हर पर्यटन स्थल आज इतिहास से सीधा संवाद करता दिखाई दे रहा है।

 

पर्यटक इन ऐतिहासिक स्थलों की भव्यता और वास्तुकला से प्रभावित होकर इतिहास को करीब से महसूस कर रहे हैं। बच्चे, छात्र और शोधार्थी भी बड़ी संख्या में इन स्थलों का भ्रमण कर रहे हैं, जिससे शैक्षिक दृष्टिकोण से भी यह दिन उपयोगी बन रहा है।

 

क्यों जरूरी है विश्व धरोहर दिवस?

 

हर देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान उसकी धरोहरों और स्मारकों में छुपी होती है। ये स्थल न सिर्फ अतीत की गौरवगाथा सुनाते हैं, बल्कि युद्धों, आंदोलनों, महापुरुषों, कला और संस्कृति के जीवंत प्रमाण भी हैं। इन्हें संरक्षित रखना हमारी साझा जिम्मेदारी है।
इसी उद्देश्य से हर साल 18 अप्रैल को 'विश्व धरोहर दिवस' (World Heritage Day) मनाया जाता है।

 

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विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day - 18 April): राजस्थान के स्मारकों में पर्यटकों का नि:शुल्क प्रवेश, पारंपरिक स्वागत का दृश्य

 

इतिहास की झलक:

 

  • 1968: स्टॉकहोम सम्मेलन में धरोहरों की सुरक्षा पर पहला अंतरराष्ट्रीय प्रस्ताव।
  • 1978: यूनेस्को द्वारा 18 अप्रैल को "विश्व स्मारक दिवस" के रूप में मान्यता।
  • 1982: पहली बार ट्यूनीशिया में ICOMOS द्वारा ‘विश्व धरोहर दिवस’ मनाया गया।
  • 1983: यूनेस्को ने आधिकारिक तौर पर इसे अपनाया।

 

2025 की थीम क्या है?

 

हर वर्ष इस दिवस की एक खास थीम होती है। 2025 विश्व धरोहर दिवस की थीम है: "आपदाओं और संघर्षों से खतरे में पड़ी विरासत: ICOMOS की 60 वर्षों की कार्रवाइयों से तैयारी और सीख" (Disasters & Conflicts Through the Lens of ICOMOS: 60 Years of Commitment). यह थीम हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि जलवायु परिवर्तन, युद्ध और प्राकृतिक आपदाएं हमारी सांस्कृतिक धरोहरों पर कितना गहरा असर डाल रही हैं—और उनसे निपटने की हमारी तैयारी क्या है।

 

इतिहास की आवाज़, आज की ज़िम्मेदारी

 

पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के निदेशक डॉ. पंकज धरेंद्र ने बताया कि “हर वर्ष की तरह इस बार भी विश्व धरोहर दिवस पर प्रदेशभर के सभी राजकीय संग्रहालय और स्मारक नि:शुल्क खोले गए हैं, ताकि आम लोग हमारी विरासत को न केवल देखें, बल्कि समझें और अपनाएं। इस पहल से न सिर्फ विरासत पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को सहेजने की दिशा में भी एक मजबूत कदम साबित हो रहा है।

 

आज का दिन हमें याद दिलाता है कि ये धरोहरें सिर्फ इमारतें नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता, संस्कृति और इतिहास की जीवंत कहानियां हैं। आइए, आज हम सभी मिलकर इन धरोहरों को जानें, सराहें और सहेजें—क्योंकि यही हमारा गौरव हैं और भविष्य की प्रेरणा भी।

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें- The India Moves 

 

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