
25 अप्रैल को होगा ऐसा संयोग, जब प्रदोष व्रत से मिलेगी कृपा
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Manjushree
- April 19, 2025
शिवभक्तों के लिए खास दिन: 25 अप्रैल को है प्रदोष व्रत, जानिए फायदे
Pradosh Vrat 25 April 2025: प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है और कहते हैं कि प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं, उनके सारे दुख-तकलीफ और कष्टों का निवारण करते हैं। मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख माह का पहला प्रदोष व्रत 25 अप्रैल 2025 को किया जाएगा। प्रदोष व्रत का दिन भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभकारी है। धार्मिक मतानुसार प्रदोष व्रत को करने से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।
प्रदोष व्रत हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है, और इसी दिन पर शुक्र प्रदोष व्रत 2025 किया जाता है। लोग व्रत का संकल्प लेकर और भगवान शिव की आराधना करते हैं। वैशाख माह में प्रदोष व्रत 25 अप्रैल 2025 दिन शुक्रवार को है। इसे शुक्र प्रदोष कहा जाएगा।
प्रदोष व्रत 25 अप्रैल 2025 भगवान भोले बाबा की पूजा थाली में विशेष भोग जरूर रखना चाहिए। जैसे ही महादेव भोलेनाथ हैं, वैसे ही आप उन्हें उनके प्रिय भोग अर्पित करेंगे, वैसे ही वे प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद देंगे और उनकी कृपा से आपके सारे काम बनने लगेंगे। इसे करने से जीवन से सभी प्रकार शारीरिक और मानसिक परेशानियां दूर होंगी और भगवान शिव की कृपा मिलती है। मान्यता है कि इस व्रत से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत 25 अप्रैल 2025 को शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 33 मिनट से रात 09 बजकर 03 मिनट तक रहेगा।
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प्रदोष व्रत (25 April 2025) के दिन क्या करें
- इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें।
- शिवलिंग पर फूल, भांग, बेलपत्र समेत आदि चीजें अर्पित करें।
- सच्चे मन से आरती और शिव चालीसा का पाठ करें।
- शिव जी के मंत्रों का जप करें।
- सात्विक भोजन के द्वारा व्रत का पारण करें।
- इसके बाद मंदिर या गरीब लोगों में विशेष चीजों का दान करें।
- रात्रि में भजन-कीर्तन करें।
प्रदोष व्रत (25 April 2025) कैसे रखा जाता है?
- प्रदोष व्रत हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है।
- प्रदोष व्रत के दिन पूजा स्थल पर भगवान शिव की पूजा की जाती है।
- प्रदोष व्रत के दिन निर्जला उपवास करना और भी फलदायी माना जाता है।
- प्रदोष व्रत में हरी मूंग और फलाहार का सेवन किया जाता है।
- प्रदोष व्रत में नमक, लाल मिर्च और अन्न का सेवन नहीं किया जाता।
- प्रदोष व्रत में शिवलिंग पर बेलपत्र, गंगाजल, दूध और दही चढ़ाया जाता है।
प्रदोष व्रत (25 April 2025) क्यों रखा जाता है?
- प्रदोष व्रत से जन्म-जन्मान्तर के चक्र से मुक्ति मिलती है।
- प्रदोष व्रत से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
- प्रदोष व्रत से पाप धुल जाते हैं और शिव धाम की प्राप्ति होती है।
- प्रदोष व्रत से सुहागन स्त्रियों का सुहाग अटल रहता है।
- प्रदोष व्रत से शत्रुओं का नाश होता है।
- प्रदोष व्रत से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत 25 अप्रैल 2025 को आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए प्रदोष व्रत पर सुबह भगवान शिव की पूजा करें और सूखे मेवे का भोग अर्पित करें। इससे प्रसन्न होकर भगवान जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति का वरदान देंगे। भगवान शिव को सूखे मेवे का भोग अति प्रिय है। मनचाहा करियर और नौकरी हासिल करने के लिए ये उपाय कर सकते हैं। प्रदोष व्रत पर महादेव को अगर सूजी के हलवे का भोग अर्पित करें तो साधक की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। साथ ही पूजा सफल मानी जाती है। कारोबार में तरक्की और नौकरी में स्थायित्व चाहिए तो प्रदोष व्रत की पूजा के दिन महादेव को भांग और धतूरे अर्पित करना शुभ फलदायी साबित हो सकता है। ऐसी मान्यता है कि पूजा थाली में इन सामग्री को जरूर रखना चाहिए। इनका रंग हरा होने के कारण जब इन्हें शिव जी को अर्पित करते हैं तो बिजनेस और बुद्धि में वृद्धि होती है क्योंकि हरा रंग बुध का है, बुध व्यापार और नौकरी का कारक ग्रह है।
प्रदोष व्रत के दिन अगर भगवान शिव को ठंडाई का भोग लगाएं तो लाभ होगा। पौराणिक कथा है कि समुद्र मंथन के समय महादेव ने विष पीया था जिससे उनके शरीर जलने होते रहते हैं। ऐसे में देवताओं द्वारा ठंडाई का भोग महादेव को अर्पित किया गया और यह परंपरा चली आ रही है। महादेव की कृपा पाने का यह एक सरल रास्ता है।
प्रदोष व्रत कितने बार करना चाहिए
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, प्रदोष व्रत 11 या 26 त्रयोदशी तिथियों तक रखना चाहिए। हालांकि, भक्त अपनी श्रद्धा के मुताबिक जितने चाहें उतने प्रदोष व्रत रख सकते हैं। 108 प्रदोष व्रत रखकर शिवपुराण की कथा कराना बहुत अच्छा माना जाता है।
प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की विधिवत पूजा और ध्यान करने से जीवन के सभी क्षेत्रों में शांति और आसक्ति आती है। जैसे शिव जी वैरागी थे, वैसे ही हमें भी जीवन में भोग-लालसा धीरे-धीरे कम करनी है। तभी शिव जी की असली कृपा बनी रहेगी।
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