
Sarva Pitru Amavasya 2025: कब है सर्वपितृ अमावस्या? जानें श्राद्ध का शुभ समय, नियम और तर्पण विधि
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Anjali
- September 17, 2025
Sarva Pitru Amavasya 2025: पितरों को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम दिन
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत ही खास महत्व माना जाता है। खासकर जब बात पितृपक्ष की आती है तो सर्वपितृ अमावस्या 2025 का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसे पितृमोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती। इस साल श्राद्ध अमावस्या 2025 तिथि 21 सितंबर, रविवार के दिन पड़ रही है। इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से पितरों का स्मरण, तर्पण और पिंडदान करने से परिवार पर पितृ कृपा बनी रहती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
सर्वपितृ अमावस्या 2025 की तिथि और शुभ समय
Sarva Pitru Amavasya 2025 की तिथि पंचांग के अनुसार 21 सितंबर 2025 को है। यह तिथि 21 सितंबर की रात 12 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 22 सितंबर की रात 01 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार श्राद्ध और पितृकर्म 21 सितंबर को ही किए जाएंगे।
श्राद्ध का शुभ समय (Sarva Pitru Amavasya 2025 Shradha Muhurat)
कुतुप मुहूर्त: सुबह 11:50 से दोपहर 12:38 तक
रौहिण मुहूर्त: दोपहर 12:38 से 01:27 तक
अपराह्न काल: दोपहर 01:27 से 03:53 तक
इन मुहूर्तों को श्राद्ध का शुभ समय माना गया है। इसी दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
सर्वपितृ अमावस्या का महत्व इतना गहरा है कि इसे पितृ विसर्जन अमावस्या भी कहा जाता है। माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर धरती पर अपने वंशजों से आशीर्वाद और तर्पण स्वीकार करने आते हैं। और सर्वपितृ अमावस्या 2025 के दिन पितरों को विदाई दी जाती है।
जिन लोगों को अपने पितरों की तिथि ज्ञात नहीं होती वे इसी दिन श्रद्धा भाव से श्राद्ध कर सकते हैं। यह दिन खास इसलिए भी है क्योंकि इस दिन भूल-भटके सभी पितरों का स्मरण कर श्राद्ध अमावस्या 2025 तिथि पर तर्पण किया जाता है।
सर्वपितृ अमावस्या तर्पण विधि
सर्वपितृ अमावस्या तर्पण विधि बहुत ही सरल है, लेकिन इसे पूरे भक्ति भाव से करना जरूरी है।
- प्रात:काल स्नान कर तन और मन को पवित्र करें।
- दक्षिण दिशा की ओर पितरों की तस्वीर या स्मृति चिह्न स्थापित करें।
- गंगाजल से शुद्धिकरण करें और पुष्प, धूप व दीप अर्पित करें।
- तर्पण के समय जल में तिल और जौ मिलाकर पितरों को अर्पण करें।
- श्राद्ध भोजन बनाकर उसे गाय, कुत्ते, कौवे और ब्राह्मण को अर्पित करें।
- इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन कराना और यथाशक्ति दान करना बेहद फलदायी होता है।
इसी तर्पण विधि से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
सर्वपितृ अमावस्या पूजा नियम
सर्वपितृ अमावस्या पूजा नियम का पालन करना बेहद जरूरी है।
- इस दिन सात्विक भोजन ही बनाएं। भोजन में प्याज-लहसुन और तामसिक चीजें न रखें।
- Sarva Pitru Amavasya puja vidhi में पीपल के पेड़ की पूजा करना भी शुभ माना गया है। पीपल पर जल चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- भोजन में से एक हिस्सा निकालकर कौओं को अवश्य खिलाएं, क्योंकि कौए को पितरों का दूत माना जाता है।
- पितरों से जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें।
इन नियमों का पालन करने से सर्वपितृ अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है।
स्नान-दान और विशेष मुहूर्त
Sarva Pitru Amavasya 2025 Snan-Daan Muhurat भी अत्यधिक शुभ है।
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:34 से 05:22 तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:16 से 03:04 तक
इन खास समय पर स्नान-दान और तर्पण करना पितरों को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम उपाय है।
पितरों को प्रसन्न करने के उपाय
- दान-पुण्य करें – अनाज, वस्त्र और अन्न का दान करना श्रेष्ठ है।
- पीपल वृक्ष की पूजा – पीपल पर जल चढ़ाकर दीपक जलाना पितरों को प्रसन्न करता है।
- पंचबलि – पितरों, देवताओं, कौओं, गाय और कुत्तों को भोजन का हिस्सा अर्पित करें।
- क्षमा प्रार्थना – पितरों से क्षमा मांगकर उनका आशीर्वाद लें।
इन उपायों से सर्वपितृ अमावस्या 2025 पर किया गया श्राद्ध और तर्पण अत्यधिक फलदायी होता है।
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