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POK मुद्दे पर उमर का कटाक्ष: चीन पर भी आक्रामक रुख दिखाएं

POK मुद्दे पर उमर का कटाक्ष: चीन पर भी आक्रामक रुख दिखाएं

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के हाल ही में दिए गए बयान पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने तंज कसा है। जयशंकर ने एक साक्षात्कार के दौरान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) को लेकर कहा था कि यह क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है और इसे वापस लेना हमारा हक है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर भारत वास्तव में POK को वापस ले सकता है तो उसे ले लेना चाहिए, लेकिन चीन को लेकर भी उतनी ही गंभीरता दिखाई जानी चाहिए।

 

जयशंकर का बयान और विवाद

 

POK मुद्दे पर उमर का कटाक्ष: चीन पर भी आक्रामक रुख दिखाएं

 

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि "पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का हिस्सा था, है और रहेगा। इसे वापस लेना हमारा संकल्प है और भविष्य में इसे हासिल करने का प्रयास किया जाएगा।" इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई और कई विपक्षी नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी।उमर अब्दुल्ला ने इस बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि "अगर POK को वापस लेना इतना ही आसान है, तो सरकार को इसे जल्द से जल्द लेकर दिखाना चाहिए। लेकिन चीन द्वारा कब्जा किए गए भारतीय इलाकों पर चुप्पी क्यों साधी जाती है? क्या सरकार चीन के सामने उतनी ही आक्रामकता दिखाने के लिए तैयार है?"

 

चीन को लेकर सवाल क्यों?

 

POK मुद्दे पर उमर का कटाक्ष: चीन पर भी आक्रामक रुख दिखाएं

 

उमर अब्दुल्ला का इशारा स्पष्ट रूप से पूर्वी लद्दाख में चीन द्वारा किए गए अतिक्रमण और गलवान घाटी में हुई झड़प की ओर था। पिछले कुछ वर्षों में चीन ने भारतीय सीमा में कई बार घुसपैठ की है और अरुणाचल प्रदेश के कई हिस्सों पर दावा ठोकता आया है। इसके बावजूद विपक्षी दलों का आरोप है कि मोदी सरकार चीन को लेकर सख्त रुख अपनाने से बचती रही है।हाल ही में अमेरिकी रिपोर्टों में यह दावा किया गया था कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में नई सड़कें और बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है। विपक्ष लगातार इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगता रहा है कि क्या भारत की चीन नीति उतनी ही सख्त है जितनी पाकिस्तान को लेकर दिखाई जाती है।

 

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

 

उमर अब्दुल्ला के इस बयान के बाद बीजेपी और नेशनल कांफ्रेंस के बीच राजनीतिक बयानबाजी और तेज हो गई है। बीजेपी ने इसे राष्ट्रवाद के खिलाफ बयान बताते हुए उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि "नेशनल कांफ्रेंस हमेशा पाकिस्तान और चीन के प्रति नरम रही है। POK भारत का हिस्सा है और इसे वापस लेने की बात करना कोई गलत नहीं है।"वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी सरकार से यह सवाल पूछ रहे हैं कि अगर POK को वापस लेने की योजना है तो इस पर ठोस रणनीति क्या है? क्या सरकार इसके लिए सैन्य कार्रवाई पर विचार कर रही है या फिर कूटनीतिक दबाव बनाएगी?

 

भारत की रणनीति और भविष्य की राह

 

भारत सरकार लंबे समय से यह कहती रही है कि POK को वापस लेना उसका संकल्प है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कई बीजेपी नेताओं ने यह दावा किया था कि अगला लक्ष्य POK को भारत में मिलाना होगा। हालांकि, इसके लिए कोई ठोस योजना सार्वजनिक नहीं की गई है।

 

इसके उलट, चीन के मसले पर सरकार का रुख तुलनात्मक रूप से नरम दिखा है। गलवान संघर्ष के बाद भारत ने कई चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया, व्यापारिक नीतियों को सख्त किया और सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ाई, लेकिन इसके बावजूद चीन का अतिक्रमण जारी है। विपक्षी दल लगातार यह सवाल उठाते हैं कि क्या सरकार चीन को लेकर उतनी ही सख्त है जितनी पाकिस्तान को लेकर दिखती है?

 

एस. जयशंकर के POK पर बयान ने एक बार फिर इस विवाद को हवा दे दी है कि क्या भारत वास्तव में इसे वापस लेने की दिशा में आगे बढ़ेगा या यह केवल राजनीतिक बयानबाजी है। उमर अब्दुल्ला ने अपने बयान के जरिए सरकार को यह चुनौती दी है कि अगर वह POK पर आक्रामक रुख अपनाने की बात कर रही है, तो चीन को लेकर भी उतनी ही गंभीरता दिखानी चाहिए।

अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सरकार का अगला कदम क्या होगा और क्या यह महज चुनावी बयानबाजी तक सीमित रहेगा या फिर कोई ठोस कार्रवाई देखने को मिलेगी।

 

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