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क्या पीड़िता ही दोषी? हाई कोर्ट की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी आपत्ति

क्या पीड़िता ही दोषी? हाई कोर्ट की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी आपत्ति

 

रेप पीड़िता पर हाई कोर्ट की टिप्पणी पर भड़का सुप्रीम कोर्ट: न्यायपालिका में संवेदनशीलता जरूरी

 

उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक महिला के साथ हुए रेप में इलाहाबाद हाई कोर्ट जज की भद्दी टिप्पणी पर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने रेप केस पर हाई कोर्ट पर नाराज़गी जाहिर करते हुए एक दूसरे मामले की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट विवाद का जिक्र किया और कड़े शब्दों में इसकी निंदा भी की। हाई कोर्ट के जज जस्टिस बी आर गवई और एजी मसीह की बेंच ने रेप पीड़िता पर टिप्पणी पर आपत्ति जताई और सतर्क रहने की नसीहत भी दी।

 

सुप्रीम कोर्ट की फटकार


सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि आखिर ये कैसे कहा जा सकता है कि कोई महिला खुद को ही मुसीबत का निमंत्रण देगी? ऐसे बयान देने से पहले आपको सोचना चाहिए कि ऐसी टिप्पणी उचित नहीं है, न्यायाधीशों को तो ऐसी बातें कहते समय सतर्क रहने की जरूरत है।
बता दें कि ये मामला उत्तर प्रदेश के कासगंज इलाके का है, जो 17 मार्च को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि किसी महिला की ब्रेस्ट पकड़ना या पजामे का नाड़ा खींचना रेप कहने के लिए पर्याप्त नहीं है।

 

पूरा मामला क्या था?


21 सितंबर 2024 को एक लड़की साउथ दिल्ली में एक म्यूजिकल परफॉर्मेंस में गई थी। वहां पर उसकी मुलाकात आरोपी व्यक्ति से हुई, जो दोस्तों के एक ग्रुप में था। अपनी शिकायत में पीड़िता ने बताया कि आरोपी ने बोला था कि वो घर छोड़ देगा, लेकिन आरोपी ने गुरुग्राम के अपने प्लॉट में ले गया। पीड़िता ने बताया कि आरोपी ने उसके साथ बलात्कार किया। इसी केस में आरोपी को जमानत देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट जज ने कहा था कि महिला ने खुद मुसीबत का न्योता दिया था।

 

इलाहाबाद हाई कोर्ट की प्रतिक्रिया

 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पीड़िता पर टिप्पणी पर कहा कि हमारा मानना है कि अगर आरोपों को सही भी मान लिया जाए, तो इस निष्कर्ष पर भी पहुंचा जा सकता है कि उसने खुद ही परेशानी को न्योता दिया था और उसके लिए वही जिम्मेदार है।

 

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