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ऑपरेशन सिन्दूर में भारत के सपूत शहीद, नहीं भूलेगा भारत बलिदान

ऑपरेशन सिन्दूर में भारत के सपूत शहीद, नहीं भूलेगा भारत बलिदान

देश की रक्षा में शहीद हुए वीर, दिया पाक को करारा जवाब 

 

'ऑपरेशन सिन्दूर' भारत-पाकिस्तान तनाव में अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर और एलओसी पर पाकिस्तान की नापाक गोलाबारी में हमारे कुछ जवान शहीद हुए। पाकिस्तान के कायराना हरकत को जवाब देने में सेना के जवान ने देश के लिए अपनी जान गंवा दी। 'ऑपरेशन सिन्दूर' में हमारे जांबाज शत्रु खेमे को करारा जवाब देते हुए नापाक इरादों को नाकाम किया। एलओसी पर शहीद भारतीय जवानों की शहादत पर एक तरफ गर्व है और दूसरी तरफ गम का भी माहौल है।

 

भारत के शहीद सपूत भारतीय जवान बीएसएफ के सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज, सूबेदार पवन कुमार, राइफलमैन सुनील कुमार, अग्निवीर मुरली नायक। यह उन शहीदों के नाम हैं जिन्होंने सीमा पर संघर्ष विराम से पहले सीमाओं की सुरक्षा करते हुए देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।

 

शहीद इम्तियाज़ को देश का सलाम

 

एलओसी पर शहीद भारतीय जवान बीएसएफ के सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज़ जम्मू के आर एसपुरा में एलओसी पर तैनात थे। शनिवार की शाम हुए सीज़ फायर के ऐलान के बावजूद पाकिस्तान ने फिर से गोलीबारी शुरू की, तो बीएसएफ ने भी पाकिस्तान को उसी की भाषा में करारा जवाब देना शुरू किया। जिसमें सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज़ शहीद हो गए। बीएसएफ और जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल एलजी मनोज सिन्हा की ओर से शहीद मोहम्मद इम्तियाज़ को सम्मान, श्रद्धांजलि और भावपूर्ण विदाई दी गई। उपराज्यपाल एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि बीएसएफ के हमारे बहादुर जवान के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करता हूँ। लेकिन बेटे के तिरंगे में लिपटे ताबूत का पार्थिव शरीर की खबर बिहार पहुंचने के बाद से शहीद के परिवार ही नहीं पूरे गांव में मातम छा गया।

 

शहीद सुरेंद्र कुमार को देश का सलाम


भारत की सरहदों पर हुए पाकिस्तानी हमले में जिन सपूतों ने प्राणों का बलिदान दिया उनमें एक एलओसी पर शहीद भारतीय जवान राजस्थान के झुंझुनू के सुरेंद्र कुमार का नाम भी है। वायुसेना के मेडिकल यूनिट में सेवा दे रहे सुरेंद्र कुमार जम्मू के उधमपुर में तैनात थे। लेकिन 9 मई को हुए पाकिस्तानी ड्रोन अटैक में सुरेंद्र कुमार शहीद हो गए। सुरेंद्र कुमार का पार्थिव शरीर झुंझुनू में उनके पैतृक गांव मेहरादा दासी लाया गया। शोक में डूबे शहीद के परिवार को सांत्वना देने के लिए पूरा गांव उमड़ आया। लेकिन सुरेंद्र कुमार का शव देखते ही उनकी पत्नी का सब्र जवाब दे गया। शहीद सुरेंद्र कुमार का अंतिम संस्कार उनके 8 साल के बेटे दक्ष ने किया। लेकिन सुरेंद्र कुमार के बलिदान से आहत बेटी वृतिका ने पिता को अंतिम विदाई देते वक्त कहा कि वो भी पापा की तरह फौजी बनना चाहती। मैं अपने पापा का बदला लूंगी। चुन-चुन के बदला लूंगी अपने पापा का।

 

शहीद सूबेदार पवन कुमार को देश का सलाम


9 मई को पाकिस्तान की ओर से हुए ड्रोन हमले में राजौरी में एलओसी पर शहीद भारतीय जवान सेना के सूबेदार पवन कुमार ने भी प्राणों की आहुति दे दी। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के रहने वाले शहीद पवन कुमार 2 महीने बाद ही रिटायर होकर अपने गांव लौटने वाले थे। लेकिन दुश्मनों से लोहा लेते हुए सूबेदार पवन कुमार बुरी तरह घायल हो गए और शनिवार को इलाज के दौरान उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। जिसके बाद तिरंगे में लिपटा शहीद का शव शाहपुर पहुंचा तो पूरा गांव अपने बेटे को आखिरी विदाई देने के लिए उमड़ आया।

 

शहीद मुरली को देश का सलाम


8-9 मई की रात हुई पाकिस्तान की गोलीबारी में आंध्र प्रदेश में रहने वाले मुरली एलओसी पर क्रॉस बॉर्डर फायरिंग में शहीद हो गए। इकलौते बेटे की शहादत की खबर मिलते ही पूरा परिवार सदमे में आ गया क्योंकि मुरली ने माता-पिता से जम्मू कश्मीर में तैनाती की बात छिपा रखी थी और बेटे का पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंचा तो तिरंगे में लिपटे बेटे को देखते ही माता-पिता सुधबुध खो बैठे थे। पाकिस्तानी के खिलाफ दिखाए गए पराक्रम में सीमा पर संघर्ष पर भारतीय सेना ने अपनी 26 साल के जवान मुरली नायक को भी खो दिया।

 

शहीद सुनील कुमार को देश का सलाम


पाकिस्तान की ओर से हुए हमलों में प्राणों का बलिदान देने वालों में एलओसी पर शहीद भारतीय जवान जम्मू के अरनिया के राइफलमैन सुनील कुमार का भी नाम शामिल है। सुनील कुमार की तैनाती जम्मू के आर एसपुरा सेक्टर में एलओसी पर थी। जहां पिछले कई दिनों से लगातार पाकिस्तान की ओर से फायरिंग की जा रही थी। जिसमें सुनील कुमार ने भी देश के लिए बलिदान दिया। सुनील कुमार का पार्थिव शरीर अरणिया के त्रेवा गांव लाया गया। जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई।

 

 

पाकिस्तान की ओर से हुए कायराना हमलों में हमारे भारतीय सेना के वीर जवानों ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। एक ओर जहां पूरे देश में इनकी शहादत पर गर्व है, वहीं दूसरी शहीदों को श्रद्धांजलि पर गहरा शोक भी। हमारे वीर सपूतों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। देश में कई लोगों को अफसोस हो रहा है कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सीज़ फायर की गुहार आखिर क्यों मानी? उसे पीओके पर कब्जा करने के बाद ही रुकना चाहिए था। पीओके का संकल्प भारत का पहले भी था और आज भी है। ऑपरेशन सिंदूर अभी ऑन है, और हो सकता है कि यह ऑन ही रहे तब तक जब तक आतंकवाद का हमारे पड़ोसी देश से पूरी तरह सफाया न हो जाए।

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें- The India Moves

 

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