
बिहार की सियासी रणनीति; जाति आधारित पार्टियों की ताकत
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Priyanka
- May 23, 2025
बिहार की जाति आधारित पार्टियों की ताकत: चिराग से कुशवाहा तक
बिहार की राजनीति में जातिवाद की अहमियत किसी से छिपी नहीं है। यहां की सियासत जातीय समीकरणों पर आधारित है, और आगामी विधानसभा चुनावों में जाति आधारित पार्टियों की भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है। आइए जानते हैं प्रमुख जाति आधारित नेताओं और उनकी पार्टियों की ताकत के बारे में।
चिराग पासवान: पासवान समुदाय का प्रभावी नेता
चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का कोर वोट बैंक पासवान जाति है, जो बिहार की कुल आबादी का लगभग 5.31% है। यह समुदाय बिहार में अनुसूचित जाति के तहत आता है और राजनीतिक दृष्टि से प्रभावशाली है। चिराग की पार्टी ने पहले भी विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है, और उनकी पार्टी का वोट शेयर 5-6% के आसपास रहा है। भाजपा ने चिराग को तरजीह दी है, क्योंकि उनका पासवान समुदाय पर मजबूत पकड़ है, जो चुनावी समीकरणों में अहम भूमिका निभाता है।
जीतनराम मांझी: मुसहर समुदाय का सशक्त प्रतिनिधि
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (लोकतांत्रिक) मुसहर जाति पर आधारित है, जो महादलित वर्ग में आती है। मुसहर जाति की आबादी बिहार में लगभग 3.09% है, और यह गया, जहानाबाद, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार जिलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मांझी की पार्टी ने पहले भी विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है, और महादलित वोट बैंक पर उनकी पकड़ मजबूत है।
मुकेश सहनी: निषाद समाज का नया चेहरा
मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) निषाद समाज पर आधारित है, जिसकी आबादी बिहार में लगभग 2.61% है। निषाद जाति में सहनी के साथ ही अन्य उपजातियों को भी जोड़ लें तो समाज की कुल आबादी 9.65% तक पहुंच जाती है। यह समुदाय दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, वैशाली, खगड़िया जिलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सहनी की पार्टी ने पहले भी चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है, और निषाद वोट बैंक पर उनकी पकड़ मजबूत है।
उपेंद्र कुशवाहा: कोइरी समुदाय का सशक्त नेता
उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) कोइरी जाति पर आधारित है, जिसकी आबादी बिहार में लगभग 4.21% है। कोइरी जाति की आबादी औरंगाबाद, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, समस्तीपुर, खगड़िया, सीतामढ़ी, पूर्णिया, जमुई, नालंदा और आरा जिलों में महत्वपूर्ण है। कुशवाहा की पार्टी ने पहले भी चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है, और कोइरी वोट बैंक पर उनकी पकड़ मजबूत है।
बिहार की राजनीति में जातीय समीकरणों का अहम स्थान है, और जाति आधारित पार्टियों की भूमिका आगामी विधानसभा चुनावों में निर्णायक साबित हो सकती है। चिराग पासवान, जीतनराम मांझी, मुकेश सहनी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेता अपने-अपने जातीय वोट बैंक पर मजबूत पकड़ रखते हैं, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।
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