
शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व क्या है
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Geetika
- March 17, 2025
कहते हैं इस सृष्टि का सृजन शिव से हुआ है|और इस सृष्टि का अंत भी शिव में ही माना गया है| शिव त्रिकालदर्शी हैं त्रिदेवों में एक शिव ही ऐसे देवता हैं जो भूत ,भविष्य,वर्तमान तीनो के ज्ञाता हैं| शिव अनादि हैं अंनत हैं.भगवान् शिव को प्रकाश का प्रतिक माना गया है|पर इस सृष्टि में शिव के ज्योतिर्लिंगों को लेकर बहुत से लोगों के मन में प्रश्न उठते हैं ज्योतिर्लिंग क्या है इसकी उत्त्पत्ति कैसे हुई ?तो आज आपको ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कुछ जानकारियां यहाँ मिलेंगी _ज्योतिर्लिंग जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है ये शब्द ज्योति और लिंग को मिला कर बना है ज्योतिर्लिंग मानव द्वारा नहीं बनाया गया अपितु सभी ज्योतिर्लिंग स्वयंभू है| अर्थात प्रकट हुए हैं ,ज्योतिर्लिंग में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा होती है.,ऐसा माना जाता है की जहाँ भगवान शिव ने ज्योति के रूप में दर्शन दिए वहाँ ज्योतिर्लिंग की उत्तपति हुई |
भगवान महादेव धरती पर 12 ज्योतिर्लिंगों में स्थापित है
_सोमनाथ,मल्लिकार्जुन,महाकालेश्वर,ओंकारेश्वर,केदारनाथ,भीमाशंकर,विश्वनाथ,त्र्यंबकेश्वर,वैद्यनाथ,नागेश्वर,रामेश्वर,घुश्मेश्वर ऐसा कहा जाता है की अगर कोई व्यक्ति इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करता है| तो वो व्यक्ति जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है| पर 12 ज्योतिर्लिंगों की क्या विशेषता है|
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र में स्तिथ है और ये 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला ज्योतिर्लिंग है| इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता ये है की इसकी ऊंचाई लगभग 155 फ़ीट है,और मंदिर के ऊपर वजनदार कलश की स्थापना भी की गयी है|इस ज्योतिर्लिंग को छूना या दूध दही अर्पित करना प्रतिबंधित है ये मंदिर अपने आप में बहुत सी विशेषताएं समेटे हुए है| इसीलिए यहाँ प्रवेश करने से पहले आपको 561 सीढ़ियों को पार करना होगा तभी आप भगवान के दर्शन कर पाएंगे |
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग ,दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में स्थापित दूसरा ज्योतिर्लिंग है| ख़ास बात ये है की ये ज्योतिर्लिंग शिव और शक्ति अर्थात माँ पार्वती और शिव को समर्पित है कहा जाता है पुत्र वियोग से दुखी होकर महादेव और माँ पार्वती इस स्थान पर आये थे|ये ज्योतिर्लिंग करोंडो भक्तों की आस्था का प्रतीक है मल्लिकार्जुन का अर्थ है मल्लिका और अर्जुन मल्लिका का अर्थ माँ पार्वती और अर्जुन का अर्थ शिव इस ज्योतिर्लिंग में शिव के साथ साथ माँ पार्वती भी ज्योति रूप में विध्यमान है| मान्यता है की पूर्णिमा के दिन मापार्वति और अमावस के दिन शिव इस स्थान पर दर्शन देने आते हैं|
महकलेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरा ज्योतिर्लिंग है.जो उज्जैन में शिप्रा नदी के तटपर स्थापित है| ये एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो की दक्षिणमुखी होने के साथ साथ तंत्र साधना के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं| माना जाता है की उज्जैन के राजा विक्रमादित्य को महाकाल ने सक्षात दर्शन दिए थे ये ज्योतिलिंग स्वयंभू है,महाकाल की भस्म आरती दुनिया भर में प्रसिद्ध है इसमें कपिला गाय के गोबर से बने कंडे ,शमी ,पीपल ,पलाश ,बड़ ,अमलतास ,बेर के पेड़ की लकड़ी को जलाकर भस्म तैयार की जाती है| महाकाल को काल काप्रतीक भी माना जाता है इसलिए कहते है की महाकाल के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है अगर आप महाकाल की भस्म को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं तो इससे अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है|
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथा ज्योतिर्लिंग है.जो की मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्तिथ है| ये ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के मध्य शिवपुरी द्वीप पर स्थित है| इंदौर शहर से कुछ दूरी पर महादेव का एक प्राचीन मंदिर है जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है कहा जाता है की महादेव इस स्थान पर 33 करोड़ देवताओं के साथ निवास करते हैं|वहीँ बहुत से लोगों का ये भी मानना है की महादेव रात को इस मंदिर में शयन करने आते हैं|
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में पांचवा ज्योतिर्लिंग है.जो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में है.इस मंदिर में शिवलिंगप्राचीन होने केसाथ साथ स्वयंभू भी है| केदारनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार आदि शंकराचार्य ने करवाया था| ये ज्योतिर्लिंग चार धाम और पंच केदार में भी आता है|
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में छठा ज्योतिर्लिंग है। जो महाराष्ट्र के पुणे में पश्चिम घाट के पर्वत पर स्तिथ है ये मंदिर पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर है| इस मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है उसका आकार बहुत बड़ा और मोटा है तभी इसका नाम भीमाशंकर है| कहा जाता है की यहाँ नदी में डुबकी लगाने से आत्मा की शुद्धि होती है और बहुत सी बीमारियाँ भी ठीक होती है |
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग जिसे काशी विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है 12 ज्योतिर्लिंगों में सातवां ज्योतिर्लिंग है| काशी नगरी महादेव और माँ पार्वती ने स्वयं स्थापित की थी यही वजह है की ये स्थान महादेव को अति प्रिय है. ऐसा माना जाता है की एक बार माँ पार्वती और महादेव धरती पर जब भर्मण के लिए आये तब माँ पार्वती को ये स्थान इतना पसंद आया की उन्होंने महदेव को इस स्थान पर रहने की इच्छा जताई थी| ऐसा भी कहा जाता है की अगर कोई मनुष्य काशी में अपने प्राण त्यागता है तो इससे उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है| काशी को सृष्टि की आदिस्थली भी कहा गया है|इस स्थान में शिव के ही एक रूप काल भैरव का भी जन्म हुआ था|
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंग में आठवां ज्योतिर्लिंग हैं| महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्तिथ ये ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के किनारे स्तिथ है जो की भक्तो के लिए एक बड़ा तीर्थस्थल है इस स्थान पर तीन छोटे -छोटे ज्योतिर्लिंग हैं और इनकी पूजा ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश के रूप में की जाती है इस स्थान पर जहाँ शिव त्रिदेव के रूप में स्थपित है वहीं इनके साथ पार्वती और श्री गणेश की भी पूजा होती है|
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
बैधनाथ ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में नवां ज्योतिर्लिंग है| ये ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्तिथ है ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है उसे रावण ने स्वयं स्थापित किया है| और इस मंदिर के अहाते में एक कुंआ भी है जो रावण द्वारा ही खोदा गया था| कहा जाता है की इसी कुंए के जल से महादेव का अभिषेक होता है इसके अलावा रावण ने महादेव के मंदिर के साथ_साथ 12 शक्तिपीठ का निर्माण भी करवाया था ऐसी मान्यता है की इसी स्थान पर माता सती का हृदय गिरा था
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में दसवां ज्योतिर्लिंग है| ऐसा कहा जाता है की शिव के नाग वासुकी जिसे शिव आभूषण के रूप में धारण करते हैं| इस नागेश्वर ज्योतिर्लिंग_
मंदिर में उनके दर्शन करने से ही सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं|
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंग में ग्यारहवा ज्योतिर्लिंग है जिसकी स्थापना श्री राम ने की थी इस पर एक पल कानिर्माण किया गया था जो लंका तक जाता था पर बाद में विभीषण की श्लाह से ये पल तोड़ दिया गया था इसके दर्शन मात्र से अनेक प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं|
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग
महराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में 12 ज्योतिर्लिंगों में अंतिम बारहवां ज्योतिर्लिंग हैं| जो की दौलताबाद से 11 किलोमीटर की दूरी पर है| जिसे घुश्मेश्वर या घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है| ये ज्योतिर्लिंग सबसे छोटा ज्योतिर्लिंग है इस मंदिर का पुनर्निर्माण अहिल्या बाई होल्कर ने करवाया था| कहा जाता है की घुश्मा नामक युवती को महादेव ने दर्शन दिए और संतान सुख का आशीर्वाद भी दिया| ऐस्डा कहा जाता हिअ की 12 ज्योतिर्लिंगों मैं ये आखिरी ज्योतिर्लिंग है और इसके दर्शन से संतान सुख की प्राप्ति होती है|
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महकलेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरा ज्योतिर्लिंग है.जो उज्जैन में शिप्रा नदी के तटपर स्थापित है| ये एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो की दक्षिणमुखी होने के साथ साथ तंत्र साधना के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं| माना जाता है की उज्जैन के राजा विक्रमादित्य को महाकाल ने सक्षात दर्शन दिए थे ये ज्योतिलिंग स्वयंभू है,महाकाल की भस्म आरती दुनिया भर में प्रसिद्ध है इसमें कपिला गाय के गोबर से बने कंडे ,शमी ,पीपल ,पलाश ,बड़ ,अमलतास ,बेर के पेड़ की लकड़ी को जलाकर भस्म तैयार की जाती है| महाकाल को काल काप्रतीक भी माना जाता है इसलिए कहते है की महाकाल के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है अगर आप महाकाल की भस्म को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं तो इससे अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है|
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथा ज्योतिर्लिंग है.जो की मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्तिथ है| ये ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के मध्य शिवपुरी द्वीप पर स्थित है| इंदौर शहर से कुछ दूरी पर महादेव का एक प्राचीन मंदिर है जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है कहा जाता है की महादेव इस स्थान पर 33 करोड़ देवताओं के साथ निवास करते हैं|वहीँ बहुत से लोगों का ये भी मानना है की महादेव रात को इस मंदिर में शयन करने आते हैं|
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में पांचवा ज्योतिर्लिंग है.जो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में है.इस मंदिर में शिवलिंगप्राचीन होने केसाथ साथ स्वयंभू भी है| केदारनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार आदि शंकराचार्य ने करवाया था| ये ज्योतिर्लिंग चार धाम और पंच केदार में भी आता है|
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में छठा ज्योतिर्लिंग है। जो महाराष्ट्र के पुणे में पश्चिम घाट के पर्वत पर स्तिथ है ये मंदिर पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर है| इस मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है उसका आकार बहुत बड़ा और मोटा है तभी इसका नाम भीमाशंकर है| कहा जाता है की यहाँ नदी में डुबकी लगाने से आत्मा की शुद्धि होती है और बहुत सी बीमारियाँ भी ठीक होती है |
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग जिसे काशी विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है 12 ज्योतिर्लिंगों में सातवां ज्योतिर्लिंग है| काशी नगरी महादेव और माँ पार्वती ने स्वयं स्थापित की थी यही वजह है की ये स्थान महादेव को अति प्रिय है. ऐसा माना जाता है की एक बार माँ पार्वती और महादेव धरती पर जब भर्मण के लिए आये तब माँ पार्वती को ये स्थान इतना पसंद आया की उन्होंने महदेव को इस स्थान पर रहने की इच्छा जताई थी| ऐसा भी कहा जाता है की अगर कोई मनुष्य काशी में अपने प्राण त्यागता है तो इससे उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है| काशी को सृष्टि की आदिस्थली भी कहा गया है|इस स्थान में शिव के ही एक रूप काल भैरव का भी जन्म हुआ था|
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंग में आठवां ज्योतिर्लिंग हैं| महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्तिथ ये ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के किनारे स्तिथ है जो की भक्तो के लिए एक बड़ा तीर्थस्थल है इस स्थान पर तीन छोटे -छोटे ज्योतिर्लिंग हैं और इनकी पूजा ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश के रूप में की जाती है इस स्थान पर जहाँ शिव त्रिदेव के रूप में स्थपित है वहीं इनके साथ पार्वती और श्री गणेश की भी पूजा होती है|
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
बैधनाथ ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में नवां ज्योतिर्लिंग है| ये ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्तिथ है ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है उसे रावण ने स्वयं स्थापित किया है| और इस मंदिर के अहाते में एक कुंआ भी है जो रावण द्वारा ही खोदा गया था| कहा जाता है की इसी कुंए के जल से महादेव का अभिषेक होता है इसके अलावा रावण ने महादेव के मंदिर के साथ_साथ 12 शक्तिपीठ का निर्माण भी करवाया था ऐसी मान्यता है की इसी स्थान पर माता सती का हृदय गिरा था
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में दसवां ज्योतिर्लिंग है| ऐसा कहा जाता है की शिव के नाग वासुकी जिसे शिव आभूषण के रूप में धारण करते हैं| इस नागेश्वर ज्योतिर्लिंग_
मंदिर में उनके दर्शन करने से ही सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं|
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंग में ग्यारहवा ज्योतिर्लिंग है जिसकी स्थापना श्री राम ने की थी इस पर एक पल कानिर्माण किया गया था जो लंका तक जाता था पर बाद में विभीषण की श्लाह से ये पल तोड़ दिया गया था इसके दर्शन मात्र से अनेक प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं|
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग
महराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में 12 ज्योतिर्लिंगों में अंतिम बारहवां ज्योतिर्लिंग हैं| जो की दौलताबाद से 11 किलोमीटर की दूरी पर है| जिसे घुश्मेश्वर या घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है| ये ज्योतिर्लिंग सबसे छोटा ज्योतिर्लिंग है इस मंदिर का पुनर्निर्माण अहिल्या बाई होल्कर ने करवाया था| कहा जाता है की घुश्मा नामक युवती को महादेव ने दर्शन दिए और संतान सुख का आशीर्वाद भी दिया| ऐस्डा कहा जाता हिअ की 12 ज्योतिर्लिंगों मैं ये आखिरी ज्योतिर्लिंग है और इसके दर्शन से संतान सुख की प्राप्ति होती है|
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