Delhi Birthday : दिल्ली का जन्मदिन आज, आज के दिन बनाई भारत की राजधानी, जानें किसने लिया था निर्णय ?
- Renuka
- December 12, 2024
Delhi : देश की राजधानी दिल्ली का इतिहास 12 दिसंबर से जुड़ा हुआ है। दरअसल, 1911 में इसी दिन ब्रिटेन के सम्राट और सम्राज्ञी के भारत दौरे के दौरान एक ऐतिहासिक घोषणा की गई थी। आज दिल्ली बनने से पहले यह कई बार उजड़ी और फिर से बसाई गई।
आज की दिल्ली बनने से पहले यह कई बार उजड़ी और फिर से बसाई गई। विभिन्न राजा और महाराजाओं ने इसे अपने हिसाब से ढाला, लेकिन कोई भी यहां लंबे समय तक शासन नहीं कर सका। महाभारत काल (लगभग 1400 ई.पू.) में दिल्ली को पांडवों की नगरी इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है।
आज दिल्ली का जन्मदिन
बता दें कि आज दिल्ली का जन्मदिन है, क्योंकि 11 दिसंबर 1911 को इसे भारत की राजधानी घोषित किया गया था। इस ऐतिहासिक फैसले ने दिल्ली के इतिहास में एक नया मोड़ दिया। इसके बाद, 1912 में दिल्ली नगर योजना समिति का गठन किया गया, जिसका उद्देश्य राजधानी के विकास के लिए योजनाओं को लागू करना था। इस समिति को वाइसराय भवन, सचिवालय भवन, और नए शहर के सौंदर्यशास्त्र से संबंधित प्रमुख इमारतों के निर्माण और योजना का कार्य सौंपा गया। दिल्ली के इस विशेष दिन पर, हम उसके अद्वितीय इतिहास, महत्व और विकास की यात्रा को याद करते हैं।
क्यों है ये दिन खास
आज का दिन दिल्ली के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि 11 दिसंबर 1911 को ही दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया था। ठीक रात 12:01 बजे, 12 दिसंबर से दिल्ली ने कोलकाता की जगह देश की नई राजधानी के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। इस ऐतिहासिक फैसले ने दिल्ली के भविष्य को आकार दिया और इसे भारतीय इतिहास का अहम हिस्सा बना दिया। 11 दिसंबर 1911 को बुराड़ी के नजदीक कारोनेशन पार्क में सम्राट जॉर्ज पंचम के राज्याभिषेक दरबार में दिल्ली को भारत की नई राजधानी बनाए जाने की आधिकारिक घोषणा की गई थी। दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली केवल ब्रिटिश शासन के दौरान ही नहीं, बल्कि मुगल साम्राज्य और उससे भी पहले कई प्रमुख साम्राज्यों के समय देश की राजधानी रही थी। इस तरह, दिल्ली का ऐतिहासिक महत्व भारतीय राजनीति और संस्कृति में गहरा रहा है।
अंग्रेजों ने दिल्ली को राजधानी क्यों चुना
आपको बता दें कि ब्रिटिश शासन के तहत अंग्रेजों को ऐसी जगह की आवश्यकता थी, जहां वे हर मौसम में आराम से रह सकें। कई स्थानों की जांच करने के बाद, दिल्ली को चुनने का निर्णय लिया गया, क्योंकि यह न केवल विभिन्न क्षेत्रों से आसानी से जुड़ी हुई थी, बल्कि शिमला, जो ग्रीष्मकालीन राजधानी थी, के भी पास थी। यही कारण था कि दिल्ली को देश की स्थायी राजधानी बनाने का फैसला किया गया।
गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने किया था उद्घाटन
अगस्त 1911 में, ब्रिटिश वॉयसरॉय लॉर्ड हार्डिंग ने लंदन को भेजे गए एक पत्र में यह प्रस्ताव दिया था कि कलकत्ता के बजाय दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया जाना चाहिए। इस विचार को साकार रूप में तब बदला, जब 1931 में लॉर्ड इरविन, जो उस समय के वायसरॉय और गवर्नर जनरल थे, ने दिल्ली को औपचारिक रूप से भारत की राजधानी के रूप में उद्घाटित किया।
दिल्ली में विकास की शुरुआत
इसके कुछ ही महीने बाद, 1912 में दिल्ली नगर योजना समिति का गठन किया गया, जिसका उद्देश्य नई राजधानी के निर्माण के लिए विस्तृत योजनाओं और डिजाइन तैयार करना था। समिति को वाइसराय भवन, सचिवालय भवन जैसी प्रमुख इमारतों और नए शहर की सुंदरता से जुड़े संरचनात्मक कार्यों के विकास और निर्माण का जिम्मा सौंपा गया। मार्च 1912 में, ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस को नई राजधानी के चीफ डिजाइनर के रूप में नियुक्त किया गया, और उन्हें सहयोग देने के लिए सर हरबर्ट बेकर को भी जोड़ा गया।
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