OK TATA : ट्रकों के पीछे ‘ओके टाटा’ क्यों लिखा होता है, यहां जाने इसका कारण?
- Anjali
- October 15, 2024
OK TATA: सफर के दौरान आपने ट्रकों के पीछे लिखी हुई शायरी और संदेशों को जरूर देखा होगा। वो है- OK TATA. यह वो शब्द हैं जो ट्रक पर नेम प्लेट के नम्बर से भी बड़े अक्षरों में लिखे हुए नजर आते हैं। अधिकांश लोग इसका मतलब नहीं जानते। कुछ लोगों का मानना है कि ये दो शब्द ट्रक की पहचान को बताते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। इसका सीधा कनेक्शन रतन टाटा से है। इसका जवाब मिलता है टाटा ग्रुप से, जो दोपहिया और चार पहिया वाहनों को बनाने के साथ ट्रक मैन्युफैक्चरिंग के लिए भी जाना जाता है। लेकिन सवाल उठता है कि जब दो-पहिया और चार-पहिया वाहनों पर ओके टाटा नहीं लिखा दिखाई देता तो फिर ट्रक पर ऐसा क्यों लिखा होता है?
ट्रक पर क्यों लिखा होता है 'OK TATA'?
बता दें कि ओके टाटा उन्हीं ट्रकों पर लिखा होता है जिनका निर्माण टाटा ग्रुप करता है। दूसरी बात, वाहन पर अगर ओके टाटा लिखा है तो इसका मतलब है कि उसकी टेस्टिंग हो चुकी है और वो बेहतर हालात में है। इसका इस्तेमाल इसलिए भी किया जाता है क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि गाड़ी की मैन्युफैक्चरिंग और रिपेयरिंग टाटा मोटर्स के मानकों के अनुसार की गई है। यह लाइन इस बात पर भी मुहर लगाती है कि इन वाहनों की वॉरंटी सिर्फ टाटा के पास है।
ब्रांडिंग का हथियार बना ये शब्द
ओके टाटा… कंपनी ने भले ही ये दो शब्द अपनी पॉलिसी के लिए बनाए और ट्रकों पर लिखे, लेकिन धीरे-धीरे यह ब्रांडिंग का एक प्रभावशाली हथियार बन गए। ट्रकों के जरिए ये पूरे देश में प्रचलित हुए। जैसे-जैसे ट्रकों की लोकप्रियता बढ़ी, ये शब्द ग्राहकों के बीच विश्वास और विश्वसनीयता का प्रतीक बन गए। इससे ग्राहकों को यह अहसास हुआ कि वे एक प्रतिष्ठित ब्रांड का हिस्सा हैं। आज भी अगर किसी से ओके टाटा कहेंगे तो वो समझ जाएगा कि कहां पर यह शब्द सबसे ज्यादा लिखा हुआ देखा जाता है।
ट्रकों को बनाने वाली टाटा मोटर्स आज देश की टॉप ऑटोमोबाइल कंपनी है। इसकी शुरुआत आजादी से पहले 1954 में टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (TELCO) के रूप में हुई थी। बाद में इसका नाम बदलकर टाटा मोटर्स कर दिया गया। उस दौर में यह कंपनी ट्रेन के इंजन बनाने का काम करती थी। तब द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था और टाटा ने भारतीय सेना को टैंक दिया, जिसे टाटानगर टैंक नाम से जाना गया। इस टैंक ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाए।
कुछ समय बाद टाटा ने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में कदम रखा। मर्सिडीज बेंज के साथ भागीदारी की और 1954 में कॉमर्शियल वाहन लॉन्च किए। 1991 में कंपनी ने पैसेंजर व्हीकल के क्षेत्र में कदम रखते हुए वाहन और पहली स्वदेशी गाड़ी टाटा सिएरा (Tata Sierra) लॉन्च की। इस तरह एक के बाद एक वाहन लॉन्च करके टाटा ने इतिहास रचा और देश की टॉप ऑटोमोबाइल कंपनी बन गई।
इसके बाद कंपनी ने टाटा एस्टेट (Tata Estate) और टाटा सूमो (TATA Sumo) को भारतीय बाजार में उतारा। टाटा सूमों ने भारतीयों के बीच खास जगह बनाई। इसके बाद भारतीय बाजार में आई टाटा इंडिका (TATA Indica) छा गई। टाटा की इस पहली फैमिली कार को 1998 में लॉन्च किया गया था जिसने बिक्री में भी रिकॉर्ड बनाए थे। टाटा ग्रुप को ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले रतन टाटा आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उपलब्धियां और उनका संघर्ष भारतीयों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।
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