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शांति के लिए पुतिन की बड़ी मांगें : शांति की शर्त या धमकी?

शांति के लिए पुतिन की बड़ी मांगें : शांति की शर्त या धमकी?

रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने युद्ध खत्म करने के लिए जो शर्तें रखी हैं, उनमें सबसे अहम मांग नाटो विस्तार (Nato Expansion) को रोकने की है। तीन रूसी सूत्रों के हवाले से पता चला है कि पुतिन चाहते हैं कि पश्चिमी देश लिखित में वादा करें कि अब नाटो पूर्व की ओर नहीं बढ़ेगा, यानी यूक्रेन (Ukraine), जॉर्जिया (Georgia) और मोल्डोवा (Moldova) जैसे देशों को नाटो में शामिल नहीं किया जाएगा। नाटो विस्तार को लेकर रूस शुरू से ही संवेदनशील रहा है और पुतिन इसे रूस की सुरक्षा के खिलाफ सबसे बड़ा खतरा मानते हैं। पुतिन की दूसरी बड़ी मांग है कि रूस पर लगे कुछ आर्थिक प्रतिबंध हटाए जाएं और पश्चिमी देशों (Western countries) में फ्रीज की गई रूसी संपत्तियों को लेकर समाधान निकाला जाए। साथ ही, यूक्रेन को एक "न्यूट्रल" देश बनाए रखने और वहां रूसी भाषी लोगों की रक्षा सुनिश्चित करने की भी बात रखी गई है। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump), जो खुद को पुतिन के साथ अच्छे संबंधों वाला नेता बताते हैं, अब पुतिन की चालों से नाराज़ हैं और उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर रूस शांति वार्ता में देरी करता है, तो और भी सख्त प्रतिबंध लगाए जाएंगे। ट्रंप ने हाल ही में सोशल मीडिया पर कहा कि पुतिन "पागल हो गए हैं" क्योंकि उन्होंने यूक्रेन पर हवाई हमले तेज कर दिए हैं। इस बीच रूसी सूत्रों का कहना है कि अगर पुतिन को लगा कि शांति उनकी शर्तों पर नहीं मिल रही, तो वो जंग और आगे बढ़ाएंगे और यूक्रेन को दिखाएंगे कि देर से की गई शांति और भी दर्दनाक होगी। पुतिन का मानना है कि 1991 में सोवियत यूनियन के विघटन के बाद अमेरिका ने उन्हें धोखा दिया और नाटो विस्तार का वादा तोड़ दिया। 2008 में नाटो ने कहा था कि यूक्रेन और जॉर्जिया को भविष्य में सदस्य बनाया जाएगा, जिससे रूस और भड़क गया। पुतिन बार-बार यही दोहराते हैं कि अगर नाटो विस्तार नहीं रुका, तो शांति की कोई गुंजाइश नहीं है। रूस इस बात पर अड़ा है कि वह चार पूर्वी यूक्रेनी क्षेत्रों पर पूरी तरह कब्जा चाहता है और अब क्षेत्रीय समझौते पर समझौता करने को तैयार नहीं है। ऐसे में नाटो विस्तार को लेकर टकराव अब शांति वार्ता की सबसे बड़ी रुकावट बन गया है और यह देखा जाना बाकी है कि पश्चिम इस मांग के सामने झुकेगा या नहीं। अगर नाटो विस्तार का मुद्दा सुलझा नहीं, तो यह युद्ध और भी खतरनाक मोड़ ले सकता है। 

 

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