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Namibia News : 64 साल बाद नामीबिया की बनी पहली महिला राष्ट्रपति, नंदी-नदैतवाह ने विपक्षी नेता को दी मात

Namibia News : 64 साल बाद नामीबिया की बनी पहली महिला राष्ट्रपति, नंदी-नदैतवाह ने विपक्षी नेता को दी मात

Nandi Ndaitwah :  महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक और गर्वित करने वाली खबर आई है। अफ्रीकी देश नामीबिया ने इतिहास रचते हुए अपनी पहली महिला राष्ट्रपति का चुनाव किया है। नेतुम्बो नंदी-नदैतवाह, जो पहले देश की उपराष्ट्रपति थीं, अब राष्ट्रपति के रूप में चुनी गई हैं।


64 साल बाद नामीबिया की पहली महिला राष्ट्रपति
नामीबिया की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में नेतुम्बो नंडी-नदैतवाह का चुनाव हुआ है। चुनाव आयोग द्वारा मंगलवार को जारी किए गए आधिकारिक नतीजों के अनुसार, 72 वर्षीय नंदी-नदैतवाह ने 57 प्रतिशत वोट हासिल कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। उनकी इस जीत ने उन चुनावी अटकलों को खारिज कर दिया, जिसमें यह कहा जा रहा था कि उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए दूसरे चरण में जाना पड़ सकता है। वे SWAPO पार्टी से ताल्लुक रखती हैं। वहीं रिपोर्ट के अनुसार, 3 दिसंबर को घोषित आधिकारिक चुनाव नतीजों के मुताबिक, SWAPO पार्टी को 57 प्रतिशत वैध वोट मिले, जो राष्ट्रपति बनने के लिए आवश्यक 50 प्रतिशत वोट बैरियर से कहीं ज्यादा था।


विपक्षी नेता को मिली हार
नामीबिया में हुए संसदीय चुनावों के परिणाम सामने आ गए हैं, और इस चुनाव में स्वैपो पार्टी को 57 प्रतिशत वोट मिले, जो राष्ट्रपति बनने के लिए आवश्यक 50 प्रतिशत वोटों से कहीं अधिक हैं। खास बात यह है कि नेतुम्बो नंडी-नदैतवाह ने अपने प्रतिद्वंद्वी पांडुलेनी इटुला को शानदार तरीके से हराया, जिनके हिस्से में सिर्फ 26 प्रतिशत वोट आए। नामीबिया ने 1990 में दक्षिण अफ्रीका से स्वतंत्रता प्राप्त की थी, और तब से नंदी नदैतवाह राजनीति में सक्रिय रही हैं। उनकी लगातार सक्रियता और मेहनत का ही परिणाम है कि आज उन्होंने देश में इतिहास रचते हुए राष्ट्रपति पद की कुर्सी हासिल की है।


नंदी-नदैतवाह का राजनीति सफर
1990 में दक्षिण अफ्रीका से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से नेतुम्बो नंडी-नदैतवाह नामीबिया की राजनीति में एक महत्वपूर्ण शख्सियत रही हैं। अब, राष्ट्रपति पद पर काबिज होकर, उन्होंने अपनी पार्टी SWAPO को और मजबूत किया है। यह उनकी राजनीति में निरंतर सक्रियता का परिणाम है। हालांकि, नंदी-नदैतवाह की जीत के बाद विपक्षी पार्टी IPC ने चुनावी प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाया है। IPC के अनुसार, मतदान प्रक्रिया में मतपत्रों की कमी और तकनीकी समस्याओं की वजह से चुनावी प्रक्रिया में अव्यवस्थाएं उत्पन्न हुईं, जिससे मतदान तीन दिन तक बढ़ाना पड़ा। पार्टी ने इन आरोपों को लेकर कोर्ट जाने की भी धमकी दी है और यह मामला कानूनी दायरें में जाने की संभावना जताई है।


इस महिला ने महिला सशक्तिकरण के नारे को किया साकार
महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक और गर्वित करने वाली खबर आई है। अफ्रीकी देश नामीबिया में पहली बार एक महिला ने राष्ट्रपति पद का दायित्व संभालकर नया इतिहास रच दिया है। इस महिला का नाम है नेतुम्बो नंडी-नदैतवाह, जो अब देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनी हैं। नंदी-नदैतवाह इससे पहले नामीबिया की उपराष्ट्रपति के रूप में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं, और अब राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने एक नई मिसाल कायम की है। यह उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि पूरी महिला समुदाय के लिए गर्व की बात है।


राजनीतिक विश्लेषक रक्केल एंड्रियास की प्रतिक्रिया
वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार 72 वर्षीय नेतुम्बो नंदी-नदैतवाह लंबे समय से नामीबिया की राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने 1960 के दशक में SWAPO पार्टी जॉइन की थी और तब से लेकर आज तक पार्टी के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, जिसमें विदेश मंत्री के रूप में उनकी भूमिका भी शामिल है। राजनीतिक विश्लेषक रक्केल एंड्रियास के अनुसार नंदी-नदैतवाह को SWAPO पार्टी का एक अहम नेता माना जाता है, और उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से वह किसी न किसी रूप में नामीबिया के नेतृत्व में रही हैं। अपने कुछ पार्टी सहयोगियों के विपरीत, नंदी-नदैतवाह की छवि भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त रही है, जो उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता को और मजबूत करती है। अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद नंदी-नदैतवाह ने कहा कि- नामीबियाई राष्ट्र ने शांति और स्थिरता के लिए मतदान किया है, और इस जीत को देश के लिए एक नया अध्याय बताते हुए उन्होंने जनता का आभार व्यक्त किया।


विपक्षी दल ने जीत को किया अस्वीकार
चुनाव में कुछ तकनीकी समस्याओं, जैसे मतपत्रों की कमी और अन्य व्यवधानों के कारण विपक्षी दलों ने चुनाव परिणामों को अस्वीकार कर दिया है। इन मुद्दों के कारण चुनाव अधिकारियों ने मतदान को शनिवार तक बढ़ाने का निर्णय लिया। मतदान के दौरान लंबी कतारों के कारण कुछ मतदाताओं को 12 घंटे तक इंतजार करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप कई ने पहले ही दिन मतदान छोड़ दिया। विपक्षी दलों का आरोप है कि मतदान को बढ़ाना अवैध था, और उन्होंने नतीजों को अदालत में चुनौती देने का इरादा जताया है।

 

 

 

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