Munshi Prem Chand Death Anniversery : आपने भी जरूर पढ़ी होंगी उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानियां
- Neha Nirala
- November 8, 2024
Munshi Prem Chand Death Anniversery : अगर आपकी हिंदी साहित्य में रुचि है या आपने हिंदी माध्यम से स्कूली शिक्षा पूरी की है, तो आपने कभी न कभी मुंशी प्रेमचंद की कोई न कोई कहानी (Story) या उपन्यास (Novel) जरूर पढ़ा होगा। यही वजह है कि मुंशी प्रेमचंद (Munshi Prem Chand) का नाम हम सभी ने अपने जीवन में कभी न कभी जरूर सुना है। आज उन्हीं मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि है। 31 जुलाई 1880 को जन्मे मुंशी प्रेमचंद ने 1936 में आज ही के दिन महज 56 साल की आयु में अपनी आखिरी सांस ली।
पेन नेम से मिली असली पहचान
वैसे आपको ये जानकर हैरानी हो सकती है कि मुंशी प्रेमचंद उनका वास्तविक नाम नहीं, बल्कि पेन नेम (Pen Name) था। आमतौर पर देखा जाता है कि कवि या लेखक अपने वास्तविक नाम की बजाय अपने पेन नेम से अपनी रचनाएं रचते हैं और फिर इसी नाम से आगे चलकर प्रसिद्धि भी हासिल करते हैं। अभिनेता अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन (Harivanshrai Bachchan) भी इसी का उदाहरण हैं। उनका वास्तविक नाम हरिवंश राय श्रीवास्तव था, लेकिन उन्होंने अपना पेन नेम बच्चन रखा। इसी तरह आचार्य हरिशंकर उपाध्याय 'हरिऔध', सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' (Suryakant Tripathi 'Nirala'), सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' भी कुछ ऐसे रचनाकार रहे, जिन्होंने अपनी रचनाएं अपने पेन नेम से रचीं और फिर इन्हीं नामों से पहचाने गए।
सामाजिक कुरीतियों और व्यवस्थाओं का मिलता है जिक्र
चलिए एक बार फिर मुंशी प्रेमचंद पर आकर लौटते हैं। इनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव (Dhanpat Rai Srivastava) था। वहीं क्योंकि इनका जन्म उस समय हुआ जब देश अंग्रेजों का गुलाम था, ऐसे में इनकी रचनाओं में भी समाज में मौजूद उन कुरीतियों और सामाजिक व्यवस्थाओं (Social System) का जिक्र देखने को मिलता है। यही वजह है कि करीब 1 सदी पहले लिखी गई कई रचनाएं मौजूदा समय में भी प्रासंगिक नजर आती हैं। वहीं उनकी रचनाओं में जहां सामाजिक व्यवस्था में जातिवाद (Casteism) को प्रमुखता से दिखाया गया है, साथ ही ईदगाह जैसी कहानी में बालमन की मनोदशा को भी बड़ी खूबसूरती से दर्शाया है।
ये रहे चर्चित उपन्यास
- सेवासदन
- प्रेमाश्रम
- रंगभूमि
- निर्मला
- गबन
- गोदान
ये रहीं चर्चित कहानियां
- आत्माराम
- दो बैलों की कथा
- ईदगाह
- गुल्ली डण्डा
- ठाकुर का कुआँ
- त्रिया-चरित्र
- पंच परमेश्वर
- परीक्षा
- पूस की रात
- बेटोंवाली विधवा
- बड़े घर की बेटी
- बड़े भाई साहब
- नमक का दरोगा
- गृह-दाह
- सवा सेर गेहूँ
- मुक्तिधन
- कफ़न
मुंशी प्रेमचंद की स्मृति में जारी हुआ विशेष डाक टिकट
मुंशी प्रेमचंद के भारतीय साहित्य के क्षेत्र में दिए गए योगदान को देखते हुए उनकी स्मृति में भारतीय डाक विभाग (Indian Postal Department) की ओर से 30 पैसे का विशेष डाक टिकट (Special Postage Stamp) जारी किया गया था। इसी तरह मुंशी प्रेमचंद के नाम पर केंद्र केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया में एक अभिलेख स्थापित किया गया है।
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