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Mohammad Iqbal Birth Anniversary : गीत नहीं बल्कि एक उर्दू गजल है ये देशभक्ति रचना, मोहम्मद इकबाल ने की थी रचना

Mohammad Iqbal Birth Anniversary : गीत नहीं बल्कि एक उर्दू गजल है ये देशभक्ति रचना, मोहम्मद इकबाल ने की थी रचना

Mohammad Iqbal Birth Anniversary : भारत में जब कभी भी देशभक्ति (Patriotism) का कोई पर्व या मौका होता है, तो जो देशभक्ति गाने सुनाई देते हैं, उनमें से एक 'सारे जहां से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा भी है' (Sare Jahan Se Achchha) भी है। गीत की पॉपुलेरिटी का आलम यह है कि यह गीत कब बना, या इसे किसने बनाया, इसकी जानकारी भले ही लोगों को न हो, इसके बाद भी लोग इस गाने को जरूर गुनगुनाते हैं।

 

गीत नहीं बल्कि उर्दू गजल है 'सारे जहां से अच्छा'

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस गाने को लिखा किसने था ? चलिए आज आपको इसी बारे में बताते हैं। दरअसल यह एक उर्दू ग़ज़ल है, जिसकी रचना मुहम्मद इकबाल (Mohammad Iqbal) ने की थी। इनका जन्म 9 नवंबर 1877 को ब्रिटिशकालीन भारत (British India) के सियालकोट (Sialkot) में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। इनके दादा सहज सप्रू कश्मीरी पंडित थे, जो बाद में सियासकोट में जाकर बस गए थे। वहीं मुहम्मद इकबाल ने साल 1904 में सारे जहां से अच्छा गजल लिखी। बाद में इस गजल को 1924 में उर्दू पुस्तक बंग-ए-दारा में प्रकाशित किया गया। यह गीत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रवाद (Nationalism) और ब्रिटिश राज के विरोध का प्रतीक बन गया और आज भी भारत में देशभक्ति का प्रतीक माना जाता है।

 

कैप्टन राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष से कहा था 'सारे जहां से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा'

इस गजल को स्वर साम्राज्ञी और भारत रत्न (Bharat Ratna Awardee) से सम्मानित लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने भी अपनी आवाज से सजाया। इसके बाद से ये जन-जन का गीत बन गया। इसके अलावा भारत ने जब पहली बार अंतरिक्ष में कदम रखा और कैप्टन राकेश शर्मा (Captain Rakesh Sharma) भारत की ओर से अंतरिक्ष में जाने वाले पहले व्यक्ति बने, तब उन्होंने भी अंतरिक्ष से भारत की तारीफ करते हुए कहा था 'सारे जहां से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा'।

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