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बिहार चुनाव में अकेले उतरेंगे केजरीवाल, कांग्रेस की बढ़ीं मुश्किलें

बिहार चुनाव में अकेले उतरेंगे केजरीवाल, कांग्रेस की बढ़ीं मुश्किलें

बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर, अरविंद केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि आम आदमी पार्टी अब बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी। यानी न कांग्रेस से गठबंधन और न ही 'INDIA' गठबंधन की कोई बात अब आगे बढ़ेगी। गुजरात उपचुनाव में मिली ताज़ा जीत के बाद केजरीवाल का ये फैसला सीधे कांग्रेस को निशाने पर लेता दिख रहा है। अब सवाल ये है कि बिहार में आम आदमी पार्टी का मकसद क्या है—सियासी ज़मीन बनाना या फिर कांग्रेस का खेल बिगाड़ना?

 

केजरीवाल की राजनीति का ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो एक बात साफ है—हर राज्य में उन्होंने सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही पहुंचाया है। दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार को उखाड़ फेंका, पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को दो-दो सीटों से हराया, और गुजरात में भी कांग्रेस की सीटें छीन लीं। अब अगर वो बिहार में चुनाव लड़ रहे हैं, तो कांग्रेस को सबसे ज्यादा सतर्क होने की ज़रूरत है।

 

गुजरात में विसावदर सीट पर मिली जीत के बाद केजरीवाल ने जो रुख अपनाया है, उससे लगता है कि वो अब हर राज्य में 'तीसरी ताकत' के तौर पर उभरना चाहते हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि बिहार में उनके पास न संगठन है, न बड़े नेता और न ही कोई मज़बूत आधार। क्या सिर्फ वोट काटने के लिए केजरीवाल मैदान में उतर रहे हैं? या फिर ये रणनीति है—कांग्रेस को सीमित करने की?

 

2014 में वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़कर उन्होंने जो जोखिम लिया था, वही रास्ता क्या अब बिहार में दोहराया जा रहा है? तब भी नुकसान कांग्रेस को हुआ था, और अब भी वही खतरा दिख रहा है। जबकि बिहार में कांग्रेस पहले से ही आरजेडी के साथ सीमित सीटों पर चुनाव लड़ती है। अब देखना होगा कि केजरीवाल 243 सीटों के लिए उम्मीदवार जुटा पाते हैं या नहीं। लेकिन इतना तय है कि उनका ये एलान बिहार चुनाव की तस्वीर को पूरी तरह बदलने वाला है।

 

 

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