
जय भीम: बाबासाहेब के विचारों की आज भी है जरूरत
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Priyanka
- April 14, 2025
डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती पर नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
14 अप्रैल 2025 को भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar) की जयंती के अवसर पर देशभर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस मौके पर कई प्रमुख नेताओं ने दिल्ली के प्रेरणा स्थल पहुंचकर डॉ. अंबेडकर को नमन किया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने प्रेरणा स्थल पर पहुंचकर बाबा साहेब को श्रद्धांजलि दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डॉ. अंबेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, "भारत रत्न पूज्य बाबासाहेब की जयंती पर मैं उन्हें नमन करता हूँ।" प्रधानमंत्री ने डॉ. अंबेडकर के विचारों को समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बताया।
इस बीच, अंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर रविवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अंबेडकर नगर (मध्य प्रदेश) — जो डॉ. अंबेडकर का जन्मस्थान है — से कोटा होते हुए नई दिल्ली के लिए एक नई ट्रेन का शुभारंभ किया।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह ट्रेन डॉ. अंबेडकर को समर्पित एक सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा, "यह ट्रेन अंबेडकर नगर को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने का काम करेगी और यह उनके कार्यों और भारत के संविधान निर्माता के रूप में उनकी ऐतिहासिक भूमिका को सम्मान देने का एक माध्यम है।"
डॉ. अंबेडकर की जयंती पर देशभर में कार्यक्रम आयोजित हुए, और नेताओं ने उनके सामाजिक न्याय, समानता और संविधान निर्माण में दिए गए योगदान को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

बाबासाहेब अंबेडकर: शिक्षा, संघर्ष और संविधान की मिसाल
भारत रत्न डॉ. अंबेडकर न केवल एक कुशल वकील और प्रतिभाशाली अर्थशास्त्री थे, बल्कि वे एक दूरदर्शी राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक भी थे, जिन्होंने भारत को सामाजिक न्याय और समानता की राह दिखाई।
डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। एक दलित परिवार में जन्मे अंबेडकर ने बचपन में ही जातीय भेदभाव और सामाजिक असमानता का गहरा अनुभव किया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और शिक्षा को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया। उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा प्राप्त की और विश्व स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
अंबेडकर भारतीय संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष रहे और उन्हें ‘भारतीय संविधान का शिल्पकार’ यानी वास्तुकार कहा जाता है। उन्होंने एक ऐसा संविधान तैयार किया, जिसकी नींव समता (Equality), स्वतंत्रता (Liberty), बंधुत्व (Fraternity) और न्याय (Justice) जैसे मूल मूल्यों पर आधारित थी। यह संविधान न सिर्फ भारत की लोकतांत्रिक पहचान बना, बल्कि करोड़ों लोगों को समान अधिकारों की गारंटी भी देता है।
डॉ. अंबेडकर ने सामाजिक कुरीतियों और छुआछूत के खिलाफ आजीवन संघर्ष किया। उन्होंने दलितों और वंचित वर्गों को अधिकार दिलाने के लिए आंदोलन चलाए, सामाजिक चेतना जगाई और उन्हें आत्मसम्मान और स्वाभिमान से जीने का रास्ता दिखाया।
आज अंबेडकर जयंती केवल एक स्मृति दिवस नहीं, बल्कि उनके विचारों और आदर्शों को अपनाने का दिन है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि परिवर्तन तभी संभव है, जब व्यक्ति शिक्षा, आत्मबल और साहस के साथ समाज के लिए कुछ करने की ठान ले।
पूरे देश में आयोजित हो रहे कार्यक्रम, श्रद्धांजलि सभाएं और रैलियां इस बात का प्रमाण हैं कि बाबासाहेब अंबेडकर का विचार आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना कि स्वतंत्रता के समय था।
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