
Uttar Pradesh : महाकुंभ मेले में शामिल होने जा रहे हो, तो इस मंदिर के जरूर करें दर्शन, जानें क्या है मान्यता
-
Renuka
- December 26, 2024
Maha Kumbh : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ का आगाज होने जा रहा है। इस धार्मिक मेले में देश-विदेश से श्रद्धालु पवित्र संगम में आकर स्नान करते हैं। सनातन धर्म के अनुसार, महाकुंभ में भाग लेने वाले लोग संगम के जल में डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति पाने की इच्छा करते हैं, साथ ही पूजा-अर्चना भी करते हैं। अगर आप भी इस मेले शामिल होने जा रहे हो, तो इस मंदिर के दर्शन जरूर करें। एक ऐसे खास सिद्धपीठ मंदिर, जहां देवी की पूजा नहीं बल्कि उनके पालने की पूजा होती है।
महाकुंभ का आगाज
महाकुंभ हिंदू धर्म के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में से एक है। 2025 में प्रयागराज में होने वाला महाकुंभ लाखों हिंदू श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा। इसे एक विशेष धार्मिक अवसर माना जाता है, क्योंकि इस दौरान ग्रह-नक्षत्रों का ऐसा अद्भुत संयोजन होता है कि त्रिवेणी का पानी अमृत बन जाता है। इस समय पवित्र स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। महाकुंभ के अवसर पर, केवल त्रिवेणी में स्नान करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण मंदिर- हनुमान जी के मंदिर का दर्शन भी अनिवार्य माना जाता है। मान्यता है कि महाकुंभ में स्नान करने के बाद हनुमान जी के इस मंदिर के दर्शन के बिना यात्रा अधूरी मानी जाती है।
अलोपीदेवी मंदिर
यह मंदिर प्रयागराज में दारागंज से रामबाग की ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित है, और इसे अलोपशंकरी मंदिर के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि इस मंदिर का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। मान्यता के अनुसार, यहां मां सती के दाहिने हाथ का पंजा गिरने के बाद अचानक गायब हो गया था, जिसके कारण इस मंदिर को अलोपशंकरी नाम दिया गया। स्थानीय लोग इसे आमतौर पर अलोपीदेवी मंदिर के नाम से पुकारते हैं।
इस मंदिर की विशेषता
बता दें कि इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसके बीच में एक चबूतरा है, जिसमें एक कुंड स्थित है। इस कुंड के ऊपर चौकोर आकार में एक लकड़ी का पालना लटकता रहता है, जिसे लाल रंग की चुनरी से ढका जाता है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि मां सती का दाहिना कलाई का पंजा यहीं गिरा था, और जहां आज कुंड है, वही वह स्थान है। इस जगह की धार्मिक महत्वता और विश्वास लोगों को आकर्षित करता है।
मान्यता के अनुसार बहुत पवित्र मंदिर
इस कुंड के जल को बहुत पवित्र माना जाता है, और लोग यहां आचमन करते हैं। खास बात यह है कि इस मंदिर में किसी देवी की मूर्ति नहीं है, बल्कि यहां पर पालने की पूजा की जाती है। श्रद्धालु कुंड का पानी पीने के बाद मंदिर की परिक्रमा करते हैं और फिर माता सती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अपने मनोकामनाएं व्यक्त करते हैं। यह एक अनोखा स्थल है जहां श्रद्धा और विश्वास का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। वहीं मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने और हाथ में कलेवा बांधने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। खासकर नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में भक्तों की लंबी लाइनें लगती हैं। हालांकि, नवरात्रि में यहां मां का सिंगार नहीं किया जाता, लेकिन इस दौरान नौ स्वरूपों की नियमित पूजा और अर्चना की जाती है। इस समय भक्तगण विशेष रूप से मां के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंदिर में आते हैं।
Comment / Reply From
महत्वपूर्ण खबर
Categories
- देश (750)
- अपराध (71)
- मनोरंजन (240)
- शहर और राज्य (292)
- दुनिया (301)
- खेल (226)
- धर्म - कर्म (370)
- व्यवसाय (118)
- राजनीति (428)
- हेल्थ (132)
- महिला जगत (42)
- राजस्थान (236)
- हरियाणा (48)
- मध्य प्रदेश (30)
- उत्तर प्रदेश (141)
- दिल्ली (166)
- महाराष्ट्र (91)
- बिहार (49)
- टेक्नोलॉजी (135)
- न्यूज़ (68)
- मौसम (60)
- शिक्षा (81)
- नुस्खे (41)
- राशिफल (195)
- वीडियो (603)
- पंजाब (13)
- ट्रैवल (9)
- अन्य (1)
Vote / Poll
क्या राजस्थान मे बेरोजगारी का मुद्दा खत्म हो चुका है ..