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Banke Bihariji 23 January Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, माघ माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि

Banke Bihariji 23 January Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, माघ माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि

Banke Bihariji 23 January Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन। हिंदू पंचांग के अनुसार आज यानी गुरुवार 23 जनवरी 2025 के दिन माघ माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि है। आज इस तिथि पर कई तरह के शुभ और अशुभ योग बन रहे हैं।

 

आज का पंचांग (Panchang 23 January 2025)

माघ माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि समाप्त - शाम 05 बजकर 45 मिनट पर
नक्षत्र - विशाखा

वार - गुरुवार
ऋतु - शिशिर

 

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सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 15 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 56 मिनट पर
चंद्रोदय - मध्य रात्रि 02 बजकर 29 मिनट से
चन्द्रास्त - दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर
चन्द्र राशि - तुला

 

शुभ समय

ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 05 बजकर 26 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 50 मिनट से 18 बजकर 17 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से 24 जनवरी रात 01 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक
अमृत काल - शाम 07 बजकर 24 मिनट से रात 09 बजकर 10 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग - सुबह 05 बजकर 08 मिनट से 24 जनवरी सुबह 07 बजकर 24 मिनट तक

 

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अशुभ समय

राहुकाल - दोपहर 01 बजकर 46 मिनट से दोपहर 03 बजकर 17 मिनट तक
अडाल योग - सुबह 07 बजकर 13 मिटन से 24 जनवरी प्रातः 05 बजकर 08 मिनट तक
विडाल योग - सुबह 05 बजकर 08 मिनट से 24 जनवरी सुबह 07 बजकर 13 मिनट तक
भद्रा - सुबह 06 बजकर 36 मिनट से 24 जनवरी सुबह 07 बजकर 13 मिनट तक
विंछुड़ो - रात 10 बजकर 32 मिनट से 24 जनवरी सुबह 07 बजकर 13 मिनट तक
दिशा शूल - दक्षिण

 

नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबल

भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती

राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम - मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर

 

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निधिवन में प्रकट हुए बांके बिहारी जी

संत हरिदास जी निधिवन में अपनी बांसुरी और स्वर माधुर्य से राधा-कृष्ण की लीलाओं का गान करते थे। कहा जाता है कि एक दिन जब वे भक्ति और प्रेम में डूबकर भजन गा रहे थे, तो राधा-कृष्ण उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं उनके सामने प्रकट हुए। संत हरिदास जी ने जब भगवान का यह दिव्य रूप देखा, तो उनसे प्रार्थना की कि वे एक रूप में प्रकट होकर हमेशा भक्तों के बीच रहें। उनकी प्रार्थना पर भगवान राधा-कृष्ण ने एक दिव्य मूर्ति का रूप धारण किया। यह मूर्ति बांके बिहारी जी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

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