संसद पर हुए आतंकी हमले की बरसी आज, प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि
- Ashish
- December 13, 2024
संसद पर हुए आतंकी हमले की आज बरसी है। इस मौके पर देश अपने वीर बलिदानियों को याद कर रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद हमले के बलिदानियों को विनम्र श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोशल मीडिया पर शेयर की गई पोस्ट में लिखा कि 'मैं उन बहादुर लोगों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं जिन्होंने 2001 में आज के दिन हमारी संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। उनका साहस और निस्वार्थ सेवा हमें प्रेरित करती रहेगी। राष्ट्र हमेशा उनका और उनके परिवारों का आभारी रहेगा।' उन्होंने लिखा, 'इस दिन मैं आतंकवाद से लड़ने के भारत के अटूट संकल्प को दोहराती हूं। हमारा देश आतंकवादी ताकतों के खिलाफ एकजुट है।'
संसद में बलिदान देने वालों को श्रद्धांजलि
23 साल पहले 2001 में संसद पर हुए हमले की बरसी पर शुक्रवार को संसद भवन परिसर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। पुराने संसद भवन-संविधान सदन के बाहर आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समेत कई सांसदों और मंत्रियों ने आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों को पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम के दौरान सीआईएसएफ के जवानों ने सलामी दी और उसके बाद एक मिनट का मौन रखा गया। पिछले साल तक सीआरपीएफ के जवान सलामी देते थे। अब चूंकि संसद की सुरक्षा सीआईएसएफ के जिम्मे है, इसलिए इस बार सीआईएसएफ के जवानों ने सलामी दी। कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू आदि शामिल हुए।
13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला
पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने 2001 में आज ही के दिन संसद परिसर पर हमला किया था, जिसमें नौ लोग मारे गए थे। सुरक्षा बलों ने सभी पांच आतंकवादियों को मार गिराया था। इस हमले को पांच हथियारबंद आतंकवादियों ने अंजाम दिया था, लेकिन संसद सुरक्षा सेवा, सीआरपीएफ और दिल्ली पुलिस के जवानों ने हमले को नाकाम कर दिया और कोई भी आतंकवादी इमारत में घुस नहीं सका। उस हमले में दिल्ली पुलिस के छह जवान, संसद सुरक्षा सेवा के दो जवान, एक माली और एक टीवी वीडियो पत्रकार मारे गए थे।
क्या हुआ था उस दिन
13 दिसंबर 2001 को सुबह करीब 11 बजकर 40 मिनट पर एक एंबेसडर कार संसद भवन के परिसर में घुसी। इस कार पर लाल बत्ती और गृह मंत्रालय के फर्जी स्टिकर लगे थे। कार के अंदर पांच आतंकवादी सवार थे। जैसे ही कार संसद भवन के गेट नंबर 12 की ओर बढ़ी, संसद भवन के एक सुरक्षा कर्मचारी को कुछ गड़बड़ होने का संदेह हुआ। इसके बाद सुरक्षाकर्मी ने कार को वापस मुड़ने को कहा। लेकिन वह पलटी नहीं, बल्कि कार तेज गति से परिसर में खड़ी तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्णकांत की कार से जा टकराई।
इसके बाद आतंकी कार से उतरे और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षाकर्मियों ने भी आतंकियों पर फायरिंग शुरू कर दी। करीब 45 मिनट तक चले इस ऑपरेशन में सभी पांच आतंकी मारे गए। वहीं, एक माली समेत हमारे आठ सुरक्षाकर्मी भी शहीद हो गए। हमले में करीब 15 लोग घायल भी हुए। आतंकियों की कार से करीब 30 किलो आरडीएक्स बरामद हुआ। उस समय संसद में करीब 200 सांसद और मंत्री भी मौजूद थे। लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।
तत्कालीन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने लोकसभा में बताया था कि 'पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने भारतीय संसद पर हमले की साजिश रची थी। इन दोनों संगठनों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से मदद मिली थी। हमला करने वाले सभी आतंकी पाकिस्तानी थे।' संसद पर हमला करने के आरोप में मोहम्मद अफ़ज़ल गुरु, शौकत हुसैन गुरु, शौकत की पत्नी अफ़साना और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर एसआर गिलानी को गिरफ़्तार किया गया था। दोषी पाए जाने के बाद अफ़ज़ल गुरु को 9 फ़रवरी 2013 को मौत की सज़ा सुनाई गई। शौकत हुसैन गुरु को 10 साल की सज़ा सुनाई गई। बाकी सभी को रिहा कर दिया गया।
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