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पौष माह का पहला एकादशी व्रत की सही तारीख और मुहूर्त कर लें नोट

पौष माह का पहला एकादशी व्रत की सही तारीख और मुहूर्त कर लें नोट

हिंदू धर्म में जिस तरह त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है, उसी तरह यह जगत के पालनहार भगवान विष्णु को भी समर्पित है। एक वर्ष में कुल 24 तिथियां समाप्त होती हैं। धर्म शास्त्रों में वृहस्पति तिथि का विशेष उल्लेख मिलता है। धार्मिक सिद्धांत के अनुसार एकादशी के दिन शुद्ध मन से श्री हरि विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से हर काम में सफलता और व्यक्तिगत आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन अन्न और धन का दान करने से व्यक्ति को जीवन में कभी भी अन्न और धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। हर साल पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला मनाई जाती है। आइए जानते हैं पौष मास की पहली एकादशी कब है और शुभ पर्व क्या है।

 

पौष मास की पहली एकादशी कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 25 दिसंबर को रात 10:29 बजे शुरू होगी। वहीं यह एकादशी तिथि 27 दिसंबर की रात 12:43 बजे समाप्त होगी। ऐसे में 26 दिसंबर को सफलता चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। पौष मास की पहली ब्रह्माण्ड तिथि।

 

सफल एकादशी व्रत कब रखा जाता है?

  • सफल वडोदरा व्रत 27 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 12 मिनट से 9 बजकर 16 मिनट के बीच रखा जा सकता है।
  • द्वादशी तिथि 28 दिसंबर को 2 बजकर 26 मिनट पर द्वादशी तिथि समाप्त होगी।
  • सफल एकादशी व्रत रखने से क्या होता है?
  • सफल एकादशी व्रत रखने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
  • सफल एकादशी के दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करने का विधान है।
  • सफल चतुर्थी व्रत रखने से लंबी आयु का वैभव प्राप्त होता है।
  • सफल एकादशी व्रत रखने से आय और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • सफल एकादशी व्रत रखने और सात्विक मन से पूजा करने से मन पूरी तरह संतुष्ट होता है।

सफला एकादशी व्रत करने से जीवन के दुख और संकट दूर होते हैं। सफल ब्रह्माण्ड का व्रत करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। सफला एकादशी के दिन दान करने से आर्थिक तंगी दूर होती है। सफला एकादशी का महत्व क्या है? धार्मिक मान्यता है कि शुभ रात्रि का व्रत करने से सभी को शुभ कार्यों में सफलता और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। सफला एकादशी पौष मास की पहली एकादशी है और इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के साथ-साथ कुछ मादक द्रव्यों का दान करने का भी महत्वपूर्ण शास्त्रों में उल्लेख है।

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