Navratri Kanya Pujan 2024 : अष्टमी-नवमी एक दिन, जानें कैसे करें कन्या पूजन
- Anjali
- October 10, 2024
Navratri Kanya Pujan 2024 : वैदिक पंचांग के अनुसार इस साअष्टमी-नवमी एक दिन, कन्या पूजन से मिलता है देवी मां का आशीर्वादल शारदीय नवरात्री (Shardiya Navratri) की शुरूआत 3 अक्टूबर से हुई है। लेकिन नवरात्री के अष्टमी और नवमी व्रत को लेकर इस बार बड़ा संशय बना हुआ है। दरअसल नवरात्री में तिथि कुछ इस तरह से चल रही है कि विजयदशमी के दिन नवरात्री का पर्व खत्म हो रहा है। बता दें कि चंद्रमा और सूरज की स्थिति के कारण एक ही दिन में दो तिथियों का अनुभव होता है। ऐसे में इस बार अष्टमी और नवमी व्रत को लेकर सामंजस्य बना हुआ है कि किस दिन व्रत रखा जाएगा।
कब है अष्टमी और नवमी
इस बार शारदीय नवरात्र में चतुर्थी तिथि की वृद्धि का मतलब है कि चतुर्थी तिथि विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगी। नवरात्र के दौरान देवी पूजा का विशेष महत्व होता है, और चतुर्थी तिथि पर विशेष रूप से देवी कूष्मांडा की पूजा की जाती है। वहीं नवमी तिथि क्षय हो रहा है। पंचांग के मुताबिक इस बार सप्तमी और अष्टमी तिथि दोनों एक ही दिन यानी पड़ रही हैं और शास्त्रों में सप्तमी और अष्टमी का व्रत एक ही दिन करना शुभ नहीं माना जाता। ऐसे में महाअष्टमी और महानवमी एक ही दिन मनाई जाएगी।
कन्या भोज से होगी सुख-संपत्ति की प्राप्ति
नवरात्र के दौरान कन्या भोज का आयोजन बहुत महत्व रखता है। इस दिन कन्याओं को बुलाकर उन्हें भोजन कराना और उन्हें उपहार देना शुभ माना जाता है। कन्या भोज से सुख-समृद्धि, शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। यह एक प्रकार से देवी शक्ति की आराधना का भी एक रूप है। कई लोग इसे अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने और अपने जीवन में समृद्धि बढ़ाने के लिए करते हैं। उदयातिथि के अनुसार इस बार अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत 11 अक्टूबर के दिन रखा जाएगा. इस अनुसार कन्या पूजन 11 अक्टूबर को करना शुभ माना जा रहा है।
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
11 अक्टूबर को महा अष्टमी के दिन कन्या पूजन का यह समय बहुत शुभ है। लाभ चौघड़िया में सुबह 7:46 से 10:40 तक का समय कन्या पूजन के लिए उत्तम रहेगा। इसलिए अष्टमी तिथि का कन्या पूजन इस मुहूर्त में करना शुभ रहेगा।
किस प्रकार करें कन्या पूजन
- कन्या पूजन के दिन जब कन्याएं आपके घर आएं तो उनका आदर सत्कार के साथ स्वागत करें।
- सबसे पहले साफ जल से उनके पैर धोएं। फिर उनके पैर साफ कपड़े से पोंछ दें। पैर छूकर आशीर्वाद लें। कन्याएँ देवी शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं, और उनका सम्मान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।
- इसके बाद सभी कन्याओं का लाल रंग का आसन पर बैठाएं। इसके बाद उन्हें कुमकुम से तिलक करें और सभी को कलावा बांधे।
- इसके बाद कन्याओं को विभिन्न तरह के खाद्य सामग्री का भोग लगाएं। कन्याओं की संख्या कम से कम 9 होनी चाहिए।
- इसके बाद कन्याओं को भोजन कराने के बाद दक्षिणा जरुर दें। अंत में जाते समय कन्याओं के हाथ में कुछ अक्षत दें और फिर मां दुर्गा के नाम के जयकारा लगाते हुए कन्याओं से वह अक्षत आपके ऊपर डालने के लिए कहें।
- अंत में सभी के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और हंसी खुशी से कन्याओं को विदा करें।
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