
वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए संयुक्त संसदीय कमेटी का गठन
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Ashish
- December 19, 2024
वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए संयुक्त संसदीय कमेटी (IPC) का गठन हो गया है। 31 सदस्यों की जेपीसी में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, मनीष तिवारी, भाजपा के अनुराग सिंह ठाकुर और अनिल बलूनी सहित 31 सांसद शामिल होंगे। इस कमेटी की अध्यक्षता भाजपा सांसद पी. पी. चौधरी करेंगे। एक देश-एक चुनाव बिल को लोकसभा में स्वीकार कर लिया गया है। अब इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया है। विधेयक के लिए जेपीसी, जिसे आधिकारिक तौर पर संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 नाम दिया गया है।
समिति में कुल 31 सदस्य होंगे जिनमें से 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से होंगे। भाजपा से पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और पी पी चौधरी तथा कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा उन 21 लोकसभा सदस्यों में शामिल हैं, जो संसद की उस संयुक्त समिति का हिस्सा होंगे, जो एक साथ चुनाव कराने संबंधी दो विधेयकों की पड़ताल करेगी। लोकसभा की बृहस्पतिवार की कार्यसूची में समिति का हिस्सा बनने वाले 21 सांसदों के नाम शामिल हैं, जिसके गठन का प्रस्ताव कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पेश करेंगे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तमभाई रूपाला, भर्तृहरि महताब, अनिल बलूनी, सी एम रमेश, बांसुरी स्वराज, विष्णु दयाल राम और संबित पात्रा भाजपा के लोकसभा सदस्यों में शामिल हैं, जो इस समिति का हिस्सा होंगे। सूत्रों ने बताया कि कानून राज्य मंत्री रह चुके चौधरी को समिति का संभावित अध्यक्ष माना जा रहा है। उन्होंने बताया कि ठाकुर भी इस पद के लिए दावेदार हैं। नियमों के अनुसार अध्यक्ष ओम बिरला अंतिम निर्णय लेंगे।
कांग्रेस के मनीष तिवारी और सुखदेव भगत, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव, तृकां के कल्याण बनर्जी, द्रमुक के टी एम सेल्वागणपति, तेदेपा के जी एम हरीश बालयोगी, राकांपा (शरद चंद्र पवार) की सुप्रिया सुले, राष्ट्रीय लोकदल के चंदन चौहान तथा जन सेना पार्टी के बालाशोवरी वल्लभनेनी अन्य लोकसभा सदस्य हैं। राज्यसभा एक अलग संदेश में समिति के लिए अपने 10 सदस्यों के नाम घोषित करेगी। समिति में शामिल किए जाने वाले लोकसभा सदस्यों में से 14 भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के हैं, जिनमें से 10 भाजपा के हैं।
जेपीसी की सिफारिशें मिलने के बाद अब नरेंद्र मोदी सरकार की अगली चुनौती इसे संसद से पास कराने की होगी। चूंकि वन नेशन वन इलेक्शन से जुड़ा बिल संविधान संशोधन विधेयक है इसलिए लोकसभा और राज्यसभा में इस बिल को पास कराने के लिए विशेष बहमत की आवश्यकता होगी। अनुच्छेद 368 (2) के तहत संविधान संशोधनों के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है। इसका अर्थ है कि प्रत्येक सदन में यानी कि लोकसभा और राज्यसभा में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत द्वारा इस विधेयक को मंजूरी देनी होगी।
IPC क्या करेगी?
सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा है। जेपीसी का काम है इस पर व्यापक विचार-विमर्श करना, विभिन्न पक्षकारों और विशेषज्ञों से चर्चा करना और अपनी सिफारिशें सरकार को देना ।
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