
फरवरी की गर्मी और रबी फसलों पर मंडराता खतरा
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Chhavi
- February 4, 2025
Rabi crops: मौसम में बदलाव किसानों के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर रहा है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, इस बार फरवरी में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। यह खबर उन किसानों के लिए चिंता की बात है, जिन्होंने गेहूं, सरसों और चने जैसी रबी फसलें बोई हैं। आमतौर पर, ये फसलें ठंडे मौसम में अच्छी तरह बढ़ती हैं, लेकिन अगर अचानक गर्मी बढ़ जाए, तो उनकी पैदावार पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में किसानों को सतर्क रहना होगा और समय पर जरूरी कदम उठाने होंगे।
बढ़ता तापमान फसलों को कैसे नुकसान पहुँचा सकता है (Rabi crops)
रबी फसलों के लिए ठंडा मौसम सबसे जरूरी होता है। जब तापमान सामान्य से ज्यादा बढ़ता है, तो इसका सबसे ज्यादा असर गेहूं की फसल पर पड़ता है। ज्यादा गर्मी से गेहूं के दाने ठीक से नहीं बन पाते, जिससे उपज घट सकती है। इसके अलावा, अधिक तापमान की वजह से गेहूं जल्दी पक जाता है, जिससे दाने छोटे और कमजोर हो सकते हैं। यही कारण है कि फरवरी में गर्मी बढ़ने की खबर किसानों के लिए चिंता का विषय है।

सरसों और चने की फसलें भी अधिक तापमान से प्रभावित हो सकती हैं। सरसों के पौधों में फूल आने के बाद अगर तापमान ज्यादा बढ़ जाए, तो फूल जल्दी गिर सकते हैं और उपज कम हो सकती है। चने की फसल को भी ठंडी जलवायु की जरूरत होती है, लेकिन अधिक गर्मी से इसके दाने पूरी तरह नहीं बन पाते और पैदावार पर असर पड़ता है। इसके अलावा, बढ़ती गर्मी मिट्टी की नमी को तेजी से सूखा देती है, जिससे किसानों को बार-बार सिंचाई करनी पड़ती है।
Rabi crops: किसानों को क्या करना चाहिए
बढ़ते तापमान से फसलों को बचाने के लिए किसानों को कुछ जरूरी उपाय अपनाने चाहिए। सबसे पहला और सबसे आसान तरीका है नियमित सिंचाई। अगर मिट्टी में नमी बनी रहेगी, तो फसलों पर गर्मी का असर कम होगा। इसके अलावा, मल्चिंग तकनीक (पुआल, घास या सूखी पत्तियों की परत बिछाना) अपनाकर भी मिट्टी को ठंडा रखा जा सकता है।

किसानों को जलवायु-अनुकूल बीजों का चुनाव करना चाहिए, जो अधिक तापमान सहन कर सकें। वैज्ञानिक अब ऐसी नई बीज किस्में तैयार कर रहे हैं, जो बदलते मौसम में भी अच्छी उपज दे सकें। इसके साथ ही, फसल चक्र (हर साल अलग-अलग फसलें उगाना) और मिश्रित खेती (एक साथ दो या अधिक फसलें उगाना) जैसी तकनीकें अपनाने से भी नुकसान कम किया जा सकता है।
Rabi crops: सरकार और वैज्ञानिकों की भूमिका
किसानों की मदद के लिए सरकार और वैज्ञानिक लगातार काम कर रहे हैं। भारतीय मौसम विभाग नियमित रूप से मौसम का पूर्वानुमान जारी करता है, जिससे किसान पहले से तैयार हो सकें। सरकार भी किसानों को कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए सही जानकारी देने की कोशिश कर रही है, ताकि वे अपनी फसल को सुरक्षित रख सकें।

इसके अलावा, वैज्ञानिक नई तकनीकों और बीज किस्मों पर काम कर रहे हैं, जो कम पानी में भी अच्छी उपज दे सकें और ज्यादा तापमान झेल सकें। किसानों को इन संसाधनों का सही इस्तेमाल करना चाहिए और समय-समय पर कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए।
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