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जयपुर पर संकट: UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज स्टेटस छिन सकता है

जयपुर पर संकट: UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज स्टेटस छिन सकता है


जयपुर पर मंडराया खतरा: UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज टैग जा सकता है हाथ से, बदहाली की कहानी

 

2019 में जब जयपुर की परकोटा नगरी को UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया था, तो पूरे भारत ने गर्व के साथ इस ऐतिहासिक उपलब्धि का स्वागत किया। गुलाबी शहर की वास्तुकला, नियोजित नगरीय ढांचा, और सांस्कृतिक विरासत ने दुनिया भर में इसकी पहचान बनाई। लेकिन अब 2025 में, इसी जयपुर पर वर्ल्ड हेरिटेज टैग खोने का खतरा मंडरा रहा है

 

गुलाबी दीवारों पर काली परत: क्या यही ‘पिंक सिटी’ है?


परकोटे की दीवारों पर जमी काली परत, जगह-जगह उखड़ा हुआ चूने का प्लास्टर और हवा में उड़ता धूल-कचरा इस बात का प्रमाण हैं कि देखभाल और संरक्षण में भारी लापरवाही बरती जा रही है। अजमेरी गेट से छोटी चौपड़, चांदपोल से बड़ी चौपड़ और चांदपोल बाजार – ये इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

 

ऐतिहासिक गलियारों पर कब्ज़ा: विरासत की अनदेखी


UNESCO टैग मिलने में जयपुर के गलियारे और शहर की पारंपरिक योजना का अहम योगदान था। लेकिन आज यही गलियारे अवैध दुकानों और ठेलों से भरे पड़े हैं, जिससे पैदल चलना भी दूभर हो गया है। नागरिकों का कहना है कि प्रशासन सिर्फ कागज़ी योजनाएं बना रहा है, जमीन पर अमल नहीं हो रहा।

 

 

जयपुर पर संकट: UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज स्टेटस छिन सकता है

ट्रैफिक और पार्किंग का कहर


शहर के भीतर रोज़ाना लगने वाले जाम, अव्यवस्थित पार्किंग, और ई-रिक्शा की मनमानी ने स्थिति और बदतर बना दी है। किशनपोल के निवासी प्रद्युमन कहते हैं, “गुलाबी दीवारें अब काली हो गई हैं, काम कहीं नज़र नहीं आता, और गलियां गाड़ियों से भरी रहती हैं।”

 

लटकते तार और टूटी सड़कें


जहाँ एक तरफ UNESCO ने केबल प्रबंधन और स्वच्छता पर ज़ोर दिया है, वहीं हर गली में बिजली के बंडलों जैसे केबल लटकते दिखते हैंटूटी हुई सड़कें, गड्ढे, और सफाई व्यवस्था की कमी ने पिंक सिटी की चमक को फीका कर दिया है।

 

योजनाएं बहुत, अमल नहीं


सितंबर 2024 में उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने ₹100 करोड़ के विकास पैकेज की घोषणा की थी। इसमें दीवारों की रंगाई, ऐतिहासिक इमारतों की मरम्मत, जल महल की सफाई, और बोटिंग सेवाएं शुरू करने जैसी घोषणाएं की गईं। साथ ही ई-रिक्शा को रूट वाइज कलर कोड करने की योजना भी बनी, पर अब तक कोई ठोस क्रियान्वयन नहीं हुआ

 

व्यापार की होड़ में विरासत का नुकसान


स्थानीय व्यापारी सियाचरण लश्करी कहते हैं, “जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज स्टेटस उसकी इमारतों के कारण मिला, लेकिन अब लोग उन्हें तोड़कर व्यापारिक उपयोग में ला रहे हैं। प्रशासन चुप है।” भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं कि अवैध निर्माण की अनुमति पैसे लेकर दी जाती है, फिर तोड़ने या रोकने के नाम पर दोबारा रिश्वत ली जाती है।

 

UNESCO की चेतावनी और वैश्विक उदाहरण


UNESCO हर 6 साल में साइट्स की स्थिति की समीक्षा करता है। 2023 की रिपोर्ट में उन्होंने अतिक्रमण, ट्रैफिक, और पर्यावरणीय असंतुलन को प्रमुख खतरे बताया था। अगर सुधार नहीं हुए, तो 2025 में पेरिस में होने वाले 47वें वर्ल्ड हेरिटेज सेशन से पहले जयपुर की स्थिति की जांच की जा सकती है।

 

यह पहली बार नहीं होगा जब किसी शहर से हेरिटेज टैग छीना गया हो:

  • ओमान का Arabian Oryx Sanctuary (2007)

  • जर्मनी का Dresden Elbe Valley (2009)

  • यूके का Liverpool (2021)

जयपुर की ऐतिहासिक पहचान खतरे में


जयपुर सिर्फ एक शहर नहीं, एक जीवंत सांस्कृतिक प्रतीक है। इसकी वास्तुकला, चौपड़ें, हवामहल, जंतर-मंतर, और गोविंद देव मंदिर जैसे स्थल भारतीय गौरव के प्रतीक हैं। यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह टैग खोना सिर्फ एक तमगा नहीं जाएगा, बल्कि सांस्कृतिक विरासत पर गहरा धक्का होगा।

 

अब भी समय है


सरकार ने ₹80 करोड़ की नई योजना की बात की है, लेकिन अब उसे सिर्फ घोषणाओं तक सीमित नहीं रहना चाहिए। पिंक सिटी की चमक बचानी है, तो उसे साफ-सुथरा, व्यवस्थित और अतिक्रमण मुक्त बनाना होगा। अन्यथा, हम इतिहास में दर्ज होंगे – एक ऐसे शहर के रूप में, जिसने अपनी विरासत को खुद ही मिटा दिया।

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें- The India Moves

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