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नहीं रहे महान बॉलीवुड अभिनेता मनोज कुमार
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Manjushree
- April 4, 2025
87 साल की उम्र में बॉलीवुड के महान अभिनेता मनोज कुमार का निधन
हिंदी सिनेमा के महान भारतीय अभिनेता और फिल्म निर्देशक मनोज कुमार अब इस दुनिया में नहीं रहे। अभिनेता मनोज कुमार ने 87 साल की उम्र में मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। महान अभिनेता के निधन से बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई है। देश के सभी फैंस और बॉलीवुड सेलेब्स मनोज कुमार के निधन पर दुख जता रहे हैं।
87 साल की उम्र में निधन
एक्टर और डायरेक्टर मनोज कुमार कई दिनों से बीमार चल रहे थे और उन्हें कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार सुबह 3:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। मनोज कुमार देश के सच्चे भक्त थे, इसलिए उन्होंने देशभक्ति फिल्मों पर काम किया और "शहीद" (1965), "पूरब और पश्चिम" (1970), "क्रांति" (1981) जैसी फिल्में बनाई। मनोज कुमार बॉलीवुड के 'भारत कुमार' के नाम से फेमस थे।
एक्टिंग करियर की शुरुआत फिल्म 'फैशन'
मनोज कुमार ने अपने 50 साल के करियर में लगभग 55 से 60 फिल्मों में एक्टिंग कर फेम हासिल किया था। उनका एक्टिंग करियर की फिल्म ‘फैशन’ (1957) से शुरू हुआ था। जो काम चर्चित हुई थी, उन्होंने करीब 8 फिल्मों का निर्देशन किया था। इनमें से ज़्यादातर फिल्में उन्होंने खुद लिखीं और खुद ही अभिनय भी किया।
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देशभक्त 'भारत कुमार'
24 जुलाई, 1937 को हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी के रूप में जन्मे मनोज कुमार हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता थे। उन्हें देशभक्ति थीम वाली फ़िल्मों में अभिनय और निर्देशन के लिए जाना जाता था, जिसमें "उपकार" (1967), "पूरब और पश्चिम" (1970), और "रोटी कपड़ा और मकान" (1974) शामिल हैं। इन फिल्मों की वजह से ही उन्हें 'भारत कुमार' भी कहा जाता था।

मनोज कुमार उर्फ हरिकिशन गिरि गोस्वामी
मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को ब्रिटिश भारत (वर्तमान पाकिस्तान) के सीमांत प्रांत के एक शहर एबटाबाद में एक पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका जन्म का नाम हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी था। मनोज कुमार जब 10 वर्ष के थे, बंटवारे के बाद पाकिस्तान से उनके माता-पिता भारत दिल्ली आ गए। मनोज कुमार ने भारत-पाकिस्तान बंटवारे का दर्द अपनी आंखों से देखा है। फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाने से पहले कुमार ने हिंदू कॉलेज से कला स्नातक की डिग्री हासिल की।
मनोज कुमार को बचपन से ही एक्टिंग का काफी शौक था, वह अशोक कुमार और दिलीप कुमार के बहुत बड़े फैन थे। दिलीप कुमार के किरदार 1949 की फिल्म शबनम से प्रेरित होकर उन्होंने हिंदी फिल्म जगत में कदम रखते ही अपना नाम मनोज कुमार रख लिया। उनकी पहली रिलीज़ देशभक्ति ड्रामा "शहीद" थी, जो स्वतंत्रता क्रांतिकारी भगत सिंह के जीवन पर आधारित थी।
मनोज कुमार ने देशभक्ति फिल्मों के अलावा, "हिमालय की गोद में", "वो कौन थी", "हरियाली और रास्ता", "पत्थर के सनम", "नील कमल", और "रोटी कपड़ा और मकान" जैसी कई फिल्मों में भी अभिनय और निर्देशन किया। उनकी आखिरी फिल्म "मैदान-ए-जंग" (1995) थी।

सर्वश्रेष्ठ निर्देशक एवं सिनेमा जगत में योगदान
मनोज कुमार ने कई फिल्मफेयर पुरस्कार जीते, जिनमें "उपकार" और "रोटी कपड़ा और मकान" के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार शामिल है। मनोज कुमार को भारतीय सिनेमा में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए 2015 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार और 1992 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मनोज कुमार के निधन पर शोक जताया।
मनोज कुमार के निधन से न केवल बॉलीवुड, बल्कि पूरा देश शोक में है। उनकी फिल्मों और योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
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