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  • Tuesday 20 May 2025 13:48:09
माँ कामख्या देवी के कुछ अनसुने राज़

माँ कामख्या देवी के कुछ अनसुने राज़

असम के निलांचल पर्वत में माता सती [जो भगवान शिव की अर्धागिनी है] का शक्तिपीठ है, जो स्वयं में बहुत से रहस्य समेटे हुए है। असम की इन दिलचस्प वादियों में ये मंदिर दुनिया के आकर्षण का केंद्र बिंदु है। दंतकथाओं के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि ब्रह्मा के पुत्र प्रजापति दक्ष के घर माँ आदि शक्ति का जन्म हुआ, जो आगे चलकर शिव की अर्धांगिनी हुई। हालाँकि, ये भी सच है कि शिव और शक्ति का मिलन पहले से ही निश्चित था, पर प्रजापति दक्ष इस विवाह के विरुद्ध थे और उन्होंने शिव का अपमान किया, जो माता सती से सहन नहीं हुआ। सती ने हवन कुंड में कूदकर स्वयं को भस्मीभूत कर दिया। तब माँ सती के शरीर को लेकर सम्पूर्ण सृष्टि में विचरण करने लगे, पर विष्णु के सुदर्शन चक्र से माँ सती का शरीर धरती पर जा गिरा और 51 शक्तिपीठों में विभाजित हो गया। माँ के 51 शक्तिपीठों में से एक भाग असम के नीलांचल पर्वत पर भी गिरा था। इस स्थान पर माँ के गर्भ अर्थात योनि की पूजा होती है और यही स्थान ना सिर्फ भारत, अपितु सम्पूर्ण संसार में माँ कामख्या देवी के नाम से प्रसिद्ध है। आपको इसी मंदिर से जुड़े कुछ रहस्यों के बारे में बताएँगे।

आकर्षण का केंद्र बिंदु

जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि माँ कामख्या देवी का मंदिर बहुत रहस्यमयी और चमत्कारिक है और यही कारण है कि इस मंदिर में विश्व के सभी हिस्सों से दर्शनार्थी  आते हैं। असम के नीलगिरि पर्वत सैलानियों को जितना आकर्षित करते हैं, वहीं दूसरी तरफ माँ कामख्या देवी का मंदिर भी आकर्षण का केंद्र बिंदु है माँ कामख्या देवी का मंदिर संसार का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ माता के मूर्त स्वरूप की नहीं, बल्कि योनि अर्थात गर्भ की पूजा होती है, जो शायद संसार के किसी भी मंदिर में संभव नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि माता यहाँ अपने जीवंत रूप में एक स्त्री की तरह विराजमान हैं और इसलिए हर वर्ष माँ कामख्या देवी को मासिक धर्म आता है। ये स्थान ना सिर्फ वहाँ के निवासियों के लिए, अपितु सम्पूर्ण संसार में आकर्षण का केंद्र है। स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक है और विशेषकर हिन्दुओं के लिए धर्म और आस्था का केंद्र बिंदु है। सामान्य रूप से इस मंदिर में सभी धर्म के लोग आते हैं, पर हिन्दुओं की एक बड़ी संख्या यहाँ आपको देखने को मिल सकती है। अगर आप माँ कामख्या देवी के मंदिर पहली बार जा रहे हैं और आप देवी के स्वरूप के दर्शन की कामना रखते हैं, तो आपको बता दें कि वहाँ आपको किसी प्रकार की मूर्ति के दर्शन नहीं होंगे। इस स्थान पर सिर्फ माँ के गर्भ की पूजा को महत्व दिया जाता है। इसलिए ये स्थान बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण है।

 

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माँ कामख्या देवी के कुछ अनसुने राज़

स्थान

माँ कामख्या का ये पवित्र स्थान असम की राजधानी गुवहाटी से लगभग 7 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है।

 

माँ कामख्या से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ

 

संतान प्राप्ति का सुख

माँ कामख्या का मंदिर संतान प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई स्त्री निःसंतान है, तो कामख्या देवी के दर्शन से उस स्त्री को संतान का सुख प्राप्त होता है। बहुत से दर्शनार्थियों की ऐसी मान्यता है कि अगर कोई बाँझ स्त्री इस मंदिर में आकर दर्शन करती है, तो उसे भी संतान सुख की प्राप्ति होती है।

 

भूत बाधा दूर करना

माँ कामख्या का मंदिर काली शक्तियों और तंत्र बाधा को दूर करने के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि ये मंदिर एक तांत्रिक मंदिर है जहाँ भूत बाधा और जादू टोने को खत्म किया जाता है।

अम्बुबाची मेला

ऐसी मान्यता है कि हर साल जब माँ रजस्वला [मासिक धर्म] होती हैं, तब मंदिर के कपाट तीन दिन के लिए बंद हो जाते हैं और इन तीन दिनों के लिए पुरुषों का प्रवेश निषेध होता है। इसी दौरान गर्भगृह में, जहाँ माँ की योनि स्थापित है, उस स्थान पर एक सफेद चादर को बिछाया जाता है और तीन दिन बाद जब कपाट खुलते हैं, तब सफेद चादर का रंग लाल होता है। और इसी लाल चादर को अम्बुबाची कहा जाता है और इन्हीं दिनों में हर साल अम्बुबाची मेले का भी आयोजन होता है।कामख्या देवी के मंदिर में माँ के रजस्वला के दिनों में जिस वस्त्र का उपयोग होता है, वो वस्त्र बहुत पवित्र माना जाता है। ये वस्त्र ना सिर्फ बहुत सी तांत्रिक और काली शक्तियों से बचाता है, अगर कोई व्यक्ति इस वस्त्र को अपनी तिजोरी या पर्स में रखता है, तो उसके घर में धन की कमी नहीं रहती। कहा जाता है कि इस वस्त्र की कतरन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्र हो जाती है। आप इसे माँ का चमत्कार ही कह सकते हैं, जब माँ रजस्वला होती हैं, तब ब्रह्मपुत्र नदी का जल भी लाल हो जाता है।

 

3 बार दर्शन करने से मुक्ति

ऐसी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति अपने जीवनकाल में माँ कामख्या के दर्शन 3 बार करता है और माँ की परिक्रमा करता है, तो इससे वो व्यक्ति [जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है] मोक्ष को प्राप्त करता है।

 

 

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