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Delhi Pollution:  सिर्फ पराली से नहीं है दिल्ली का प्रदूषण, बारिश भी जिम्मेदार

Delhi Pollution: सिर्फ पराली से नहीं है दिल्ली का प्रदूषण, बारिश भी जिम्मेदार

Delhi Pollution: नवंबर की शुरुआत होते ही दिल्ली के प्रदूषण स्तर में भारी बढ़ोतरी देखी गई है। इस सर्दी के मौसम में यह पहली बार है कि 24 घंटे के अंदर अचानक 68 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और पीएम 2.5 की सांद्रता 313 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर को पार कर गई। यह "गंभीर प्लस" श्रेणी के बराबर थी।

एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) कंसंट्रेशन रेंज के अनुसार, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने अपने नए स्टडी में कहा है कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के लिए खेतों में पराली जलाने को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। अगर वाहनों के उत्सर्जन सहित स्थानीय कारकों ने पहले ही राष्ट्रीय राजधानी की हवा को जहरीला नहीं बनाया होता, तो अकेले पराली जलाने से दिल्ली के वायु प्रदूषण के स्तर में इतनी खतरनाक वृद्धि नहीं हो सकती थी।

 

केवल पराली जलाने से नहीं बढ़ा प्रदूषण

इन दिनों दिल्ली-एनसीआर को जकड़े जानलेवा सर्दी के प्रदूषण का नया विश्लेषण जारी करते हुए सीएसई की रिसर्च एंड एडवोकेसी की कार्यकारी निदेशक ने कहा कि इस सर्दी के मौसम की शुरुआत पिछले साल नवंबर की तुलना में काफी अधिक प्रदूषण स्तर के साथ हुई है। प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों, पराली जलाने की शुरुआत और उच्च स्थानीय प्रदूषण के संयोजन ने जोखिम को बढ़ा दिया और सार्वजनिक स्वास्थ्य को भी जोखिम में डाल दिया।

विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने के कारण प्रदूषण के स्तर में वृद्धि कोई नई बात नहीं है। लेकिन इससे कम समय में प्रदूषण बढ़ गया क्योंकि स्थानीय स्रोतों से होने वाला आधारभूत प्रदूषण पहले से ही बहुत अधिक था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल सर्दियों के शुरुआती चरण में "धुंध में अचानक और तेजी से वृद्धि" चिंता का विषय है। 2 नवंबर को, दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर इस मौसम में पहली बार 300 माइक्रोग्राम / क्यूबिक मीटर या 'गंभीर प्लस' स्तर को पार कर गया। यह बहुत अचानक वृद्धि थी क्योंकि 24 घंटे के भीतर स्तर में 68 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

 

अक्टूबर में कम बारिश भी जिम्मेदार

विश्लेषण में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान, पीएम 2.5 का स्तर अक्टूबर की शुरुआत से लगातार बढ़ना शुरू हो जाता है। इस साल, सितंबर के मध्य से स्तर बढ़ना शुरू हो गया। इसमें आगे कहा गया है कि सितंबर और अक्टूबर के दौरान कम बारिश के कारण, इस साल खराब वायु गुणवत्ता वाले दिन जल्दी शुरू हो गए।

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