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दलाई लामा के उत्तराधिकार पर उठ रहे सवाल, आखिर कौन चुनेगा दलाई लामा का उत्तराधिकारी

दलाई लामा के उत्तराधिकार पर उठ रहे सवाल, आखिर कौन चुनेगा दलाई लामा का उत्तराधिकारी

Dalai Lama Successor: चीन और तिब्‍बत के बीच का झगड़ा दलाई लामा के उत्तराधिकारी (Dalai Lama Successor) को चुनने को लेकर तेज हो सकता है। इसके आसार नजर आने लगे हैं। चीन इन दिनों तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी की खोज कर रहा है। चूंकि चीन, तिब्‍बत को अपना अभिन्‍न अंग मानता है इसलिए वो दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने के लिए तैयार है। ऐसे में उनकी बढ़ती उम्र को लेकर तरह-तरह की कयासबाजियां भी लगाई जा रही हैं। हालांकि, दलाई लामा ने अपने अनुयायियों को आश्वस्त किया है कि वे स्वस्थ हैं। चीन ने शुरू से ही कहा है कि तिब्बत हमेशा से चीन का अभिन्न अंग रहा है और दलाई लामा की नियुक्ति हमेशा बीजिंग में चीनी नेतृत्व की मंजूरी के अधीन रही है। वहीं तिब्‍बत का कहना है कि उनकी मातृभूमि कभी भी चीन नहीं रही है इसलिए दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनना पूरी तरह से तिब्‍बत का मामला है। उनका कहना है कि दलाई लामा के उत्तराधिकार का मुद्दा केवल उनका मामला है और इसमें चीन की कोई भूमिका नहीं है।

 

दलाई लामा के 90वें जन्‍मदिन से पहले कुछ बड़ा करेगा चीन
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, चीनी पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस (CPPCC) के अध्यक्ष वांग हुनिंग ने तिब्बती बौद्ध नेताओं के पुनर्जन्म के बारे में एक प्रदर्शनी में भाग लिया। वांग हुनिंग को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का करीबी माना जाता है। चूंकि दलाई लामा पुनर्जन्म के आधार पर ही चुने जाते हैं। ऐसे में जिनपिंग के करीबी की यह सक्रियता सामान्‍य नहीं कही जाती है। यह बताती है कि बीजिंग 15वें दलाई लामा चुनने की तैयारी में है और मौजूदा 14वें दलाई लामा के 90वें जन्‍मदिन से पहले बड़ी घोषणा कर सकता है।

 

चीन का क्या दावा है
CPPCC ने अपने आधिकारिक समाचार पत्र में कहा कि वांग और उनके साथ आए सदस्यों ने राष्ट्रीय एकता और जातीय एकजुटता बनाए रखने की शपथ ली, जिसका ध्यान "महान मातृभूमि, चीनी संस्कृति, कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी विशेषताओं वाले समाजवाद के संबंध में सभी जातीय समूहों के बीच पहचान की एक मजबूत भावना पैदा करने" पर है। एससीएमपी ने वांग को चीनी शासन के "विचारधारा के ज़ार" के रूप में वर्णित किया और तिब्बती मामलों के विश्लेषक बैरी सौटमैन के हवाले से बताया कि वांग राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अगस्त में तिब्बत सहायता कार्यक्रम सम्मेलन के साथ सिचुआन में गार्ज़े और अबा सहित बड़ी तिब्बती आबादी वाले क्षेत्रों का दौरा करने में "काफी सक्रिय" रहे हैं।

 

चीन के कारण दलाई लामा को लेनी पड़ी भारत में शरण
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) की स्थापना के बाद जब कम्युनिस्ट चीनी शासन ने तिब्बत को अपने अधीन किया तो उसके साथ ही चीन-तिब्‍बत विवाद की शुरुआत हो गई। चीन ने तिब्‍बत पर आक्रमण करके उसे जबरन अपने अधीन कर दिया साथ ही उनका सांस्कृतिक दमन भी किया। इसके चलते तिब्‍बतियों ने खासा विरोध किया लेकिन उनका विरोध चीन के आगे टिक नहीं पाया।
हालात ये हुए कि 1959 में दलाई लामा को भारत में शरण लेनी पड़ी। दलाई लामा और निर्वासित तिब्बतियों का कहना है कि उत्तराधिकार से जुड़े सभी अधिकार उनके पास हैं, जबकि बीजिंग का कहना है कि इस मामले में अंतिम फैसला उसका होगा। जाहिर है यदि दलाई लामा चीन तय करेगा तो वह बीजिंग के इशारों पर चलेगा। इससे तिब्‍बतियों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा। हालांकि मौजूदा दलाई लामा ने कहा है कि वह अपनी मृत्यु से पहले एक वसीयत छोड़ेंगे जिसमें उत्तराधिकार के मुद्दे का उल्लेख होगा। ऐसा भी हो सकता है कि वह पुनर्जन्म की परंपरा को बंद करने का फैसला भी कर सकते हैं।

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