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जयपुर की पतंगबाजी में पौराणिक और आधुनिक स्वरूप का मिश्रण, यहां जानें कितने प्रकार की होती है पतंगें

जयपुर की पतंगबाजी में पौराणिक और आधुनिक स्वरूप का मिश्रण, यहां जानें कितने प्रकार की होती है पतंगें

कल यानि 14 जनवरी को मकर संक्रांति का त्यौहार बड़े जोरों-शोरों से मनाया जाएगा। हालाँकि संक्रांति उत्तर भारत में मनाया जाता है, लेकिन जयपुर में इसका क्रेज अलग ही दिखता है। जयपुर की संक्रांति पतंग और मांझे से जुड़ी है। संक्रांति मतलब पतंग उड़ाना, इस दिन सभी छतों पर लोग रंग-बिरंगी, तरह-तरह की पतंग उड़ाते हैं, पूरा आसमान ऐसा लगता है कि रंगों में घुल गया हो। इस दिन बाहर से पर्यटक खास इस त्यौहार का आनंद लेने आते हैं और खूब एन्जॉय करते हैं। जयपुर की संक्रांति पूरे देश-विदेश में फैली है, यहाँ सिर्फ लोग पतंग ही नहीं उड़ाते बल्कि पतंग काटने का कॉम्पीटीशन होता है। बच्चों से लेकर बड़े तक सभी इसी होड़ में रहते हैं कि वे सामने वाले की पतंग कैसे काटें। पतंग काटने के बाद "बो काटा" बोलने की परंपरा सभी के बीच है। मकर संक्रांति के अवसर पर जयपुर में पतंगबाजी की परंपरा विशेष रूप से समृद्ध है। यहाँ विभिन्न प्रकार की पतंगे उपलब्ध होती हैं, जिन्हें आप अपनी पसंद और आवश्यकता के अनुसार चुन सकते हैं, लेकिन हम बात करेंगे जयपुर में उड़ने वाली तरह-तरह की पतंग और जयपुर में पतंगों के नाम-


1. आड़ी (Aadi):
यह पतंग छोटी और हल्की होती है, जो शुरुआती पतंगबाजों के लिए सही रहती है। इस पतंग का आकार चौकोर होता है, साथ ही साथ ये हल्की भी होती है, इसीलिए इसका इस्तेमाल बच्चों और नए पतंगबाजों द्वारा किया जाता है, जो आसानी से पतंग को संभाल सकें।

 

2. गुड्डी (Guddi):
ये पतंग न ज्यादा छोटी न ज्यादा बड़ी, ये माध्यम आकार की पतंग है, जो अनुभवी पतंगबाजों द्वारा उड़ाई जाती है। यह बेहतर पेंच लड़ाने के लिए एकदम सही पतंग मानी जाती है।

 

3. टुकल (Tukkal):
यह पतंग का आकार बहुत बड़ा होता है, जो राजसी परिवारों के लिए बनाई जाती थी और अब आम जनता के बीच भी लोकप्रिय है। इस पतंग का उपयोग बड़े आयोजनों और प्रतियोगिताओं में किया जाता है, जहाँ बड़ी और प्रभावशाली पतंगों की जरूरत होती है।

 

4. अद्धा (Addha):
आड़ी और गुड्डी के बीच आकार की ये पतंग संतुलित उड़ान के लिए जानी जाती है। मार्केट्स में इस पतंग की बिक्री भी बहुत ज्यादा होती है, और पतंगबाज भी इसी पतंग का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।



जयपुर में पतंग खरीदने की मशहूर जगह

1. हांडीपुरा बाजार (Handipura Bazaar):
यह बाजार रामगंज बाजार में स्थित है और यहाँ पतंगों का सबसे बड़ा मार्किट है, इधर की खास बात यह है कि यहाँ पतंग, मांझा, सद्धा और आदि सामान बड़ा सस्ता और अच्छी क्वालिटी का मिलता है। क्योंकि बरेली से संक्रांति से महीने भर पहले खुद कारीगर यहाँ आते हैं और यहीं पर तरह-तरह की पतंगे बनाते हैं। यहाँ पतंगों की बहुत सारी दुकानें हैं, तो यह जयपुर वालों के लिए बड़ा आसान हो जाता है, अच्छी पतंग खरीदने में।

 

2. चांदपोल बाजार (Chandpol Bazaar):
यहाँ पारंपरिक कारीगरी वाली पतंग उपलब्ध होती है, जो जयपुर की संस्कृति को दर्शाती है। इधर भी तरह-तरह की पतंगे मिलती हैं और यह मार्किट चारदीवारी में ही स्थित है, तो लोगों के लिए पतंग खरीदना आसान हो जाता है।

 

3. किशनपोल बाजार (Kishanpole Bazaar):
यहाँ पर पतंग अलग-अलग डिज़ाइन और आकार की मिलती है, लोग यहाँ से यूनिक और डिफरेंट स्टाइल की पतंग बड़ी आसानी से खरीद सकते हैं। यह बाजार भी बहुत बड़ा और सस्ता है।

 

जयपुर की पतंगबाजी में पौराणिक और आधुनिक स्वरूप का मिश्रण, यहां जानें कितने प्रकार की होती है पतंगें

मकर संक्रांति का उत्साह लोगों में 3-4 दिन पहले ही देखने को मिल गया। लोगों ने पहले ही संक्रांति की खरीदारी शुरू कर दी है। कल मकर संक्रांति के अवसर पर हम सब खूब उत्साह के साथ पतंग उड़ाएंगे और साथ ही साथ सभी नियमों का पालन भी करना हमारा कर्तव्य है, इसीलिए चाइनीस मांझे का इस्तेमाल न करें और सुबह और शाम में पतंग न उड़ाएं, क्योंकि इस समय चिड़िया ज्यादा उड़ती हैं। मकर संक्रांति के पर्व पर जयपुर में पतंगबाजी की परंपरा को जीवित रखें और इस उत्सव का आनंद लें।

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