
कौन हैं अमिताव घोष, जिन्हें मिला 'इरास्मस पुरस्कार'?
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Anjali
- November 25, 2024
Erasmus Prize 2024 Book : कोलकाता में जन्मे प्रसिद्ध लेखक अमिताव घोष को जलवायु परिवर्तन संकट के इर्द-गिर्द “अकल्पनीय की कल्पना” विषय पर उनके योगदान के लिए ‘इरास्मस पुरस्कार’ से नवाजा जाएगा। यह पुरस्कार उनको मंगलवार को एम्स्टर्डम के रॉयल पैलेस में एक भव्य समारोह में प्रदान किया जाएगा। घोष दक्षिण एशिया के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। घोष का जन्म कोलकाता में हुआ था.
मशहूर कलाकार चार्ली चैपलिन को भी मिला था ये अवॉर्ड
अमिताव घोष ने कहा कि वह एक ऐसे पुरस्कार के लिए चुने जाने पर ‘‘बेहद सम्मानित’’ महसूस कर रहे हैं, जिसे चार्ली चैपलिन और इगमार बर्गमैन जैसे कलाकारों से लेकर ट्रेवर नोआ तक विभिन्न क्षेत्रों की महान हस्तियों को सम्मानित किया गया है। इस साल ‘प्रीमियम इरास्मियनम फाउंडेशन’ ने इस पुरस्कार के लिए घोष को चुना है।
धर्म और कर्म के संदर्भ में सोचता हूं
घोष ने अगले सप्ताह नीदरलैंड में होने वाले पुरस्कार समारोह से पहले एक मीडिया संस्था के साथ बातचीत में कहा, ‘‘मैं आशावाद और निराशावाद के बीच के इस पूरे द्वैतवाद में बहुत विश्वास नहीं करता। मुझे लगता है कि भारतीय पृष्ठभूमि से होने के नाते मैं इन चीजों के बारे में कर्म और धर्म के संदर्भ में सोचता हूं। ’’
घोष ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हालात चाहे कैसे भी हों यह हमारा धर्म है कि हम जो भी कर सकते हैं, करें। यह हमारा कर्तव्य है कि हम जो भी कर सकते हैं, करें और उन भयानक व्यवधानों को रोकने की कोशिश करें जो भविष्य में हमारे सामने आने वाले हैं। ’’
जलवायु परिवर्तन पर लिखी है किताब
पुस्तक ‘द ग्रेट डिरेंजमेंट: क्लाइमेट चेंज एंड द अनथिंकेबल’ के लेखक अमिताव घोष ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र अवसंरचना संधि (यूएनएफसीसी) के तहत पक्षकारों के साथ मिलकर जिस तरह से काम किया जा रहा है वह बहुत ज्यादा असरदार नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हम देख पा रहे हैं कि किसी प्रकार की कमी लाने या इसे सामूहिक समस्या के तौर पर देखते हुए इससे निपटने के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।’’
ऐतिहासिक कथा साहित्य और गैर-कथा साहित्य के लेखक के रूप में घोष इन समस्याओं को ‘‘ऐतिहासिक रूप से उपनिवेशवाद, असमानता और वैश्विक विषमताओं के लंबे इतिहास में निहित मानते हैं। ’’ बता दें कि ‘इरास्मस पुरस्कार’ प्रति वर्ष किसी ऐसे व्यक्ति या संस्था को दिया जाता है जिसने यूरोप और उसके बाहर मानविकी, सामाजिक विज्ञान या कला के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया हो। इसमें 1,50,000 यूरो का नकद पुरस्कार दिया जाता है।
प्रशंसा और मान्यता
घोष ने भारत के सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार 2018 ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित विभिन्न पुरस्कार जीते हैं। 2019 में, उन्होंने मास्ट्रिच विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त की और “फॉरेन पॉलिसी” पत्रिका द्वारा उन्हें हमारे समय के सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक विचारकों में से एक के रूप में स्थान दिया गया।
प्रैमियम इरास्मियनम फाउंडेशन द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाने वाला इरास्मस पुरस्कार मानविकी या कला के क्षेत्र में असाधारण योगदान को मान्यता देता है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के साथ अमिताव घोष की मान्यता उनके साहित्यिक कार्यों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के अस्तित्वगत खतरे को आवाज देने और एक नए मानवतावाद को बढ़ावा देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है जो मानवता को प्रकृति के साथ मेल कराती है।
So this just happened... needless to say, I am delighted and hugely honored! It's an incredible privilege to follow in the footsteps of legends like @Trevornoah, A.S. Byatt and Barbara Ehrenreich. More here: https://t.co/NIxzxQbqcy pic.twitter.com/4eIQJfz2Jq
— Amitav Ghosh (@GhoshAmitav) March 7, 2024
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