
आसिम मुनीर ने कश्मीर पर उगला ज़हर, भारत को दी चेतावनी
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Priyanka
- July 1, 2025
पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर की नई भड़काऊ टिप्पणी
पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल जनरल आसिम मुनीर ने 30 जून 2025 को कराची में आयोजित पासिंग‑आउट परेड के अवसर पर एक विवादास्पद भाषण दिया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को “वैध संघर्ष” बताया और कहा कि “भारत जिसको आतंकवाद कहता है, वह वास्तव में स्वतंत्रता के लिए एक वैध और कानूनी संघर्ष है, जिसे अंतरराष्ट्रीय कानून मान्यता देता है” इसके साथ ही मुनीर ने भारत को चेतावनी दी कि यदि भविष्य में कोई हमला हुआ तो पाकिस्तान “उचित जवाब” देगा ।
रक्षा और द्विपक्षीय तनाव
आसिम मुनीर ने यह स्पष्ट किया: “कश्मीर और आतंकवाद भारत द्वारा दबाए गए कश्मीरी लोगों की नैतिक मुक्ति का कारण बन रहे हैं। पाकिस्तान कश्मीरियों के हर कानूनी संघर्ष में ख़ड़ा रहेगा।” उन्होंने दो बार भारत की एकतरफा सैन्य कार्रवाइयों (2019 की बालाकोट और हालिया ऑपरेशन सिंदूर) को विफल बताया। भारत ने अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले (26 नागरिकों की मौत) पर मई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ किया। पाकिस्तान पर यह हमले सहयोग का आरोप लगा था, जिससे दोनों देशों के बीच 23 अप्रैल से 10 मई तक तनावपूर्ण सैन्य गतिरोध हुआ ।
राजनीतिक और रणनीतिक संदर्भ
आसिम मुनीर का यह रुख मौजूदा पाक‑आर्मी के आक्रामक निचे को दर्शाता है, जिसने Qamar Bajwa द्वारा अपनाई गई थोड़ा मध्यम रुख की जगह कठोर रुख को चुना है. उनके पिछले बयानों में "कश्मीर पाकिस्तान की 'जारगुल नस' है" की प्रवणता भीट टिप्पणीयों के अनुसार पहलगाम हमले का पर्याय बनती दिखती है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेषकर अमेरिका और चीन जैसे देश, इस मुश्किल दौर में पाक-भारत तनाव को मध्यस्थता करने की कोशिश कर रहे हैं ।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने मुनीर के इस बयान को भड़काऊ के रूप में खारिज करते हुए कड़े शब्दों में निंदा की है। विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि “कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है” और वह अलगाववादियों का समर्थन बिल्कुल स्वीकार नहीं करेगा । साथ ही, देश में कवि और कवि‑समाज के बड़े नाम, जैसे जावेद अख्तर, ने मुनीर को कटु प्रतिक्रिया देते कहा “हमारे सैनिकों ने आपके शहीदों को सम्मानपूर्वक दफ़नाया है”.
भविष्य के जोखिम
युद्ध‑विरोधी संघर्ष: यह बयान नए आतंकवादी हमलों और सीमा पार हमलों को प्रेरित कर सकता है।
राजनैतिक जटिलता: सरकार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय समेत आंतरिक सुरक्षा और कूटनीति को संतुलित करना होगा।
क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रभाव: कश्मीर में मौजूदा सभी पदों और चर्चाओं पर नए तनाव का असर उत्पन्न हो सकता है।
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