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यासीन मलिक के मामले की सुनवाई के दौरान SC की टिप्पणी, जानें किसको होगा फायदा?

यासीन मलिक के मामले की सुनवाई के दौरान SC की टिप्पणी, जानें किसको होगा फायदा?

Supreme Court In Yasin Malik Case: सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर, 2024 को कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को जम्मू की कोर्ट में पेश किए जाने के आदेश के खिलाफ दाखिल सीबीआई की याचिका पर सुनवाई की। इस अपील में सीबीआई ने जम्मू की एक अदालत के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें अलगाववादी नेता यासीन मलिक को सुनवाई के दौरान अदालत में पेश करने के आदेश दिए गए थे। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि 26/11 मुंबई हमले के आतंकी अजमल कसाब को तक निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था तो अब यासीन को क्यों नहीं। सीबीआई का कहना है कि यासीन मलिक कोई आम कैदी नहीं है, उसके हाफिज सईद जैसे आतंकियों से रिश्ते हैं इसलिए उसको दिल्ली से जम्मू ले जाना बहुत रिस्की है।

 

यासीन मलिक तिहाड़ जेल में काट रहा सजा
बता दें कि यासीन मलिक 1990 में श्रीनगर के नजदीक वायुसेना के 4 अफसरों की हत्या और 1989 में तब के केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद की किडनैपिंग का मुख्य आरोपी है। जिसके बाद से यासीन मलिक अभी तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। उच्चतम न्यायालय ने यासीन मलिक के मामले पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को टिप्पणी की कि अजमल कसाब को भी हमारे देश में निष्पक्ष सुनवाई का मौका मिला था। न्यायालय की इस टिप्पणी से संकेत मिलता कि वह अपहरण मामले में जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के मुकदमे के लिए तिहाड़ जेल में एक अदालत कक्ष स्थापित कर सकता है।

 

जानें किस मामले में आज थी सुनवाई
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ जम्मू की एक अधीनस्थ अदालत के 20 सितंबर 2022 के आदेश के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मलिक को राजनीतिक नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह के लिए प्रत्यक्ष रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था।

 

सीबीआई ने दी ये दलीलें
सीबीआई की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मलिक को जम्मू कश्मीर भेजने को लेकर चिंता जाहिर की। मेहता ने कहा कि यासीन मलिक कश्मीर जाने के लिए तिकड़म भिड़ा रहा है और इसी वजह से उसने मामले में कोई वकील नहीं किया है। मेहता ने अदालत में बताया कि यासीन मलिक कोई आम अपराधी नहीं है। इसके बाद पीठ ने कहा कि वे तिहाड़ जेल में ही यासीन मलिक के मामले की सुनवाई के लिए सत्र अदालत के जज को दिल्ली बुलाने पर विचार सकते हैं, लेकिन उससे पहले मामले में सभी आरोपियों की सुनवाई होनी चाहिए। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 28 नवंबर के लिए टाल दी है।

 

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