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भारत से दूरी बनाना पड़ा भारी, अब मुइज्जू फिर से भारत के करीब

भारत से दूरी बनाना पड़ा भारी, अब मुइज्जू फिर से भारत के करीब

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने जब 2023 में सत्ता संभाली, तो उन्होंने भारत के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था। उन्होंने ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया और मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों को हटाने की बात कही। उनकी पहली विदेश यात्रा भी भारत की बजाय तुर्की और फिर चीन रही, जिससे यह संकेत गया कि वे भारत से दूरी बना रहे हैं। लेकिन दो साल से भी कम समय में तस्वीर पूरी तरह बदल गई। मुइज्जू ने पीएम मोदी को मालदीव की 60वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ पर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया और खुद एयरपोर्ट पर स्वागत के लिए पहुंचे। इसके पीछे कई मजबूरियां थीं। पहला, मालदीव की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में थी, विदेशी मुद्रा भंडार केवल 440 मिलियन डॉलर रह गया था, जो सिर्फ डेढ़ महीने के आयात के लिए काफी था। तब भारत ने 750 मिलियन डॉलर की मदद की, कई परियोजनाओं को गति दी और भरोसेमंद साझेदार साबित हुआ। दूसरा, मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है और भारतीय पर्यटक सबसे ज्यादा आते हैं।

 

‘बायकॉट मालदीव’ के कारण 2024 में पर्यटकों की संख्या घटी और 150 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, जिससे सरकार को भारतीय सैलानियों से अपील करनी पड़ी। तीसरा, चीन से लिए गए 1.37 बिलियन डॉलर के कर्ज ने मालदीव को मुश्किल में डाल दिया, जबकि भारत की मदद बिना शर्त और भरोसेमंद रही। चौथा, भारत ने मालदीव की समुद्री सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचे में अहम योगदान दिया है। पांचवां, भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति और लगातार उच्च स्तरीय कूटनीतिक बातचीत ने रिश्तों में फिर से गर्मजोशी ला दी। मुइज्जू को यह समझ में आ गया कि भारत को नजरअंदाज करना न तो रणनीतिक रूप से सही है और न ही आर्थिक रूप से। अब मालदीव फिर से भारत के करीब आता दिख रहा है, और यह बदलाव भारत की शांत, सहयोगी और दूरदर्शी विदेश नीति की सफलता का प्रमाण है।

 

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें: The India Moves

 

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