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रूप चतुर्दशी 2025: क्यों करती हैं महिलाएं सोलह श्रृंगार? जानिए इसका महत्व और खास परंपरा

रूप चतुर्दशी 2025: क्यों करती हैं महिलाएं सोलह श्रृंगार? जानिए इसका महत्व और खास परंपरा

सोलह श्रृंगार और खुशियों की छोटी दिवाली

 

रूप चतुर्दशी 2025 दीपोत्सव का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे महिलाएं बड़े उत्साह के साथ मनाती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और अपनी सुंदरता को और भी निखारती हैं। दीपोत्सव के पांच दिवसीय महापर्व में रूप चतुर्दशी धनतेरस के बाद मनाई जाती है और इसे छोटी दिवाली के रूप में भी जाना जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से महिलाओं के लिए खास होता है, क्योंकि इस दिन ब्यूटी और सजावट पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

 

रूप चतुर्दशी का पौराणिक महत्व

 

रूप चतुर्दशी का महत्व पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि नरकासुर नामक राक्षस ने 16,100 कन्याओं को बंदी बना लिया था। देवताओं और साधुओं की प्रार्थना पर भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ नरकासुर का वध किया और कन्याओं को मुक्त कराया। तभी से कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी 2025 के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर अपनी सुंदरता में चार चाँद लगाती हैं।

 

महिलाएं क्यों करती हैं सोलह श्रृंगार?

 

रूप चतुर्दशी 2025 पर महिलाएं अपने घर और बाहरी वातावरण की साफ-सफाई के साथ सोलह श्रृंगार करती हैं। इसमें मेकअप, नए कपड़े, आभूषण, हेयर स्टाइल और अन्य सौंदर्य विधियों का समावेश होता है। बीते वर्षों की तरह इस साल भी ब्यूटी पार्लर में मेनिक्योर-पेडीक्योर, फेशियल, ब्लीच और हेयर कलर की भारी मांग रहती है। यह दिन महिलाओं के लिए दिवाली से पहले खुद को सजाने और तैयार करने का खास अवसर होता है।

 

रूप चतुर्दशी 2025: क्यों करती हैं महिलाएं सोलह श्रृंगार? जानिए इसका महत्व और खास परंपरा

 

रूप चतुर्दशी का व्रत और पूजा विधि

 

रूप चतुर्दशी 2025 का महत्व सिर्फ सौंदर्य तक सीमित नहीं है। इस दिन पारंपरिक तेल स्नान और पूजा की जाती है। महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले तेल लगाकर स्नान करती हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं। साथ ही, इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और चित्रगुप्त की पूजा भी की जाती है। शाम को घर के मुख द्वार और दक्षिण दिशा में दीपक जलाना शुभ माना जाता है।

 

कई परिवारों में सबसे बुजुर्ग सदस्य दीपक घर में घुमाकर बाहर ले जाते हैं। इसे यम दीपक कहा जाता है और ऐसा करने से घर से बुरी शक्तियां दूर होती हैं। इस दिन पूजा के माध्यम से नरकासुर और अन्य बुरी शक्तियों से मुक्ति प्राप्त करने की मान्यता है।

 

रूप चतुर्दशी 2025 की तारीख

 

रूप चतुर्दशी 2025 इस बार 19 अक्टूबर को पड़ रही है। यह पर्व कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे रूप चौदस, नरक चतुर्दशी, और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन शाम को दीपदान की प्रथा का पालन किया जाता है, जिससे घर और परिवार में सुख, समृद्धि और सौभाग्य आता है।

 

रूप चतुर्दशी 2025 का महत्व

 

रूप चतुर्दशी का महत्व स्वास्थ्य, सौंदर्य और पौराणिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन तेल स्नान और पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, घर में दीपक जलाने और यमराज की पूजा करने से परिवार में सुरक्षा, समृद्धि और सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर अपनी सुंदरता को निखारती हैं और दीपावली से पहले खुद को तैयार करती हैं।

 

रूप चतुर्दशी 2025 केवल महिलाओं का पर्व नहीं बल्कि सभी के लिए शुभ और मंगलमय दिन है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, घर को सजाती हैं, दीपक जलाती हैं और पौराणिक पूजा-अर्चना करती हैं। रूप चतुर्दशी का महत्व इस बात में है कि यह न केवल सौंदर्य और सजावट का पर्व है, बल्कि पापों से मुक्ति, परिवार में खुशियाँ और समृद्धि लाने वाला पर्व भी है। इस दिन की विशेष पूजा और व्रत से घर में लक्ष्मी और यमराज की कृपा बनी रहती है।

 

रूप चतुर्दशी 2025: क्यों करती हैं महिलाएं सोलह श्रृंगार? जानिए इसका महत्व और खास परंपरा

 

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