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असम में बकरीद पर अवैध कुर्बानी, 16 गिरफ्तार

असम में बकरीद पर अवैध कुर्बानी, 16 गिरफ्तार

असम में बकरीद पर मवेशियों की अवैध कुर्बानी, सरकार का बड़ा एक्शन, 16 गिरफ्तार

 

ईद-उल-अजहा के मौके पर जब देश भर में लोग कुर्बानी की रस्म निभा रहे थे, असम से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। राज्य सरकार ने बकरीद के अवसर पर मवेशियों की अवैध कुर्बानी पर सख्त रुख अपनाया है। असम पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अब तक 16 लोगों को गिरफ्तार किया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने खुद इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था और सार्वजनिक शांति बनाए रखना उनकी सरकार की प्राथमिकता है।

 

5 जगहों पर मिले अवैध कुर्बानी स्थल

 

मुख्यमंत्री ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर पोस्ट करते हुए बताया कि असम के बराक घाटी के दो जिलों - कछार और करीमगंज में पांच अवैध कुर्बानी स्थल चिन्हित किए गए हैं। इनमें गुमरा, सिलचर, लखीपुर, बदरपुर और बंगा जैसे इलाके शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन स्थानों पर मवेशियों के अंग और अवैध वध के प्रमाण मिले हैं, जो कानूनन अपराध है।

 

16 लोगों की गिरफ्तारी, कड़ी कार्रवाई की चेतावनी

 

मुख्यमंत्री सरमा के अनुसार, कछार जिले से 9 और श्रीभूमि क्षेत्र से 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा कॉटन यूनिवर्सिटी, धुबरी, होजाई और श्रीभूमि में भी इस तरह की गतिविधियों की पुष्टि हुई है। मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि, "हम किसी भी धर्म, जाति या समुदाय के व्यक्ति को कानून तोड़ने की इजाजत नहीं देंगे।"

उन्होंने चेतावनी दी कि जो भी कानून तोड़ेगा, उस पर कड़ी कार्रवाई होगी, चाहे वह किसी भी धार्मिक पृष्ठभूमि से क्यों न हो।

 

'धार्मिक स्वतंत्रता के साथ कानून का पालन भी जरूरी'

 

मुख्यमंत्री सरमा ने यह भी कहा कि भारत का संविधान धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि कानून का शासन और सार्वजनिक व्यवस्था बनी रहे। उन्होंने कहा कि, "ईद-उल-अजहा के मौके पर राज्य में मवेशियों के अंग मिलने की घटनाएं विचलित करने वाली हैं।"

सरमा ने स्पष्ट किया कि असम सरकार सांप्रदायिक सद्भाव के पक्ष में है, लेकिन क्रूरता या अराजकता की कीमत पर नहीं

 

प्रशासन की सतर्कता और कार्रवाई की सराहना

 

इस घटनाक्रम के बाद राज्य प्रशासन और पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना भी की जा रही है। प्रशासन ने न सिर्फ अवैध वध स्थलों को चिन्हित किया, बल्कि वहां से सबूत इकट्ठा कर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू की।

 

क्या कहता है कानून?

 

भारत में मवेशियों के वध को लेकर हर राज्य का अलग कानून है। असम में पशु वध अधिनियम 1950 के तहत बिना लाइसेंस के किसी भी मवेशी का वध अवैध माना जाता है। बकरीद जैसे पर्वों पर विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है, जो स्पष्ट रूप से इन मामलों में अनुपस्थित थी।

बकरीद के अवसर पर धार्मिक परंपराओं का पालन जरूरी है, लेकिन कानून का पालन उससे भी अधिक जरूरी है। असम सरकार की इस कार्रवाई ने स्पष्ट संकेत दिया है कि राज्य में कानून व्यवस्था से समझौता नहीं किया जाएगा। यह घटना न केवल प्रशासन की तत्परता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए हर नागरिक की जिम्मेदारी क्या है।

 

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