
Banke Bihariji 24 February Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि
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Neha
- February 24, 2025
Banke Bihariji 24 February Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन। हिन्दू पंचांग के अनुसार आज 24 फरवरी 2025 को फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। पंचांग के अनुसार इस तिथि पर विजया एकादशी व्रत किया जाता है। साथ ही विशेष चीजों का दान करने का विधान है। पूजा के दौरान विजया एकादशी व्रत कथा का पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि इन कामों को करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। विजया एकादशी पर कई शुभ और अशुभ योग का निर्माण हो रहा है।
आज का पंचांग- 24 फरवरी 2025
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 51 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 18 मिनट पर
चन्द्रोदय- सुबह 04 बजकर 09 मिनट पर
चंद्रास्त- 25 फरवरी को सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर
विजया एकादशी 2025 व्रत पारण टाइम (Vijaya Ekadashi 2025 Vrat Paran Time)
विजया एकादशी व्रत का पारण का समय 24 फरवरी को सुबह 06 बजकर 50 मिनट से लेकर 09 बजकर 08 मिनट तक है।
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वार - सोमवार
ऋतु - वसंत
शुभ समय (Today Shubh Muhurat)
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 11 मिनट से 06 बजकर 01 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 15 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 15 मिनट से 06 बजकर 40 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक
अशुभ समय
राहुकाल - सुबह 08 बजकर 17 मिनट से 09 बजकर 43 मिनट तक
गुलिक काल - दोपहर 02 बजे से 03 बजकर 26 मिनट तक
दिशा शूल - पूर्व
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नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबल - अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद
राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम - मिथुन, कर्क, तुला, धनु, कुम्भ, मीन
निधिवन में प्रकट हुए बांके बिहारी जी
संत हरिदास जी निधिवन में अपनी बांसुरी और स्वर माधुर्य से राधा-कृष्ण की लीलाओं का गान करते थे। कहा जाता है कि एक दिन जब वे भक्ति और प्रेम में डूबकर भजन गा रहे थे, तो राधा-कृष्ण उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं उनके सामने प्रकट हुए। संत हरिदास जी ने जब भगवान का यह दिव्य रूप देखा, तो उनसे प्रार्थना की कि वे एक रूप में प्रकट होकर हमेशा भक्तों के बीच रहें। उनकी प्रार्थना पर भगवान राधा-कृष्ण ने एक दिव्य मूर्ति का रूप धारण किया। यह मूर्ति बांके बिहारी जी के नाम से प्रसिद्ध हुई।
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