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नवरात्रि में प्याज लहसुन का प्रयोग क्यों है वर्जित

नवरात्रि में प्याज लहसुन का प्रयोग क्यों है वर्जित

नवरात्रि में नौ दिन तक व्रत रखे जाते हैं इन नौ दिनों में शक्ति का प्रतीक माँ दुर्गा की भक्ति भाव से साधना की जाती है माँ भगवती की पूजा अर्चना की जाती है माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है और घर में ही घट स्थापना की जाती है । और इसीलिए इन नौ दिनों में किसी भी तरह का तामसिक आहार का सेवन करना वर्जित माना जाता है| नवरात्रि में सात्विक भोजन करने की परम्परा है इसलिए जब घट स्थापना की जाती है तब नौ दिनों के लिए किसी भी तरह का तामसिक भोजन नहीं बनता पर इसके पीछे धार्मिक मान्यता क्या है |

प्याज और लहसुन राहु केतु का रूप

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्याज और लहसुन का संबंध राहु- केतु से है समुद्र मंथन के समय बहुत सी दिव्य वस्तुएं प्रकट हुई थी इन सबमें अमृत से भरा कलश भी निकला था जिसे सभी देवताओं ने इस अमृत को ग्रहण किया था पर इन्हीं देवताओं के बीच एक असुर भी था जो देवताओं का रूप बनाकर बैठा था और उसने भी अमृत का पान किया था पर जब भगवान विष्णु को इस बात का पता लगा तब उन्होंने उस असुर का सर धड़ से अलग कर दिया पर अमृत पान से वो असुर तब तक अमर हो गया था और इसीलिए उसका सिर बना राहु और धड़ बना केतु सिर कटने से उसके रक्त की बूंदे पृथ्वी पर गिरी थी जिससे प्याज और लहसुन बने|प्याज और लहसुन का गुण तामसिक है और इसी कारण इनमे ऐसे तत्व विध्यमान हैं जिससे क्रोध की अधिकता रहती है क्रोध के साथ साथ अन्य नकरात्मक प्रवृति भी मनुष्य में आने लगती है इसलिए धार्मिक कार्यों में इसका उपयोग नहीं होता|

 

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प्याज और लहसुन का प्रयोग वर्जित

प्याज और लहसुन को तामसिक आहार बताया गया है| इसका सेवन करने से मन में तामसिक विचार आते हैं जिससे हमारे मन की सकरात्मक ऊर्जा खत्म होती है और नकरात्मक ऊर्जा जन्म लेती है|इसलिए जहाँ पूजा अर्चना और धार्मिक कार्य किये जाते हैं वहाँ प्याज और लहसुन जैसे तामसिक पदार्थ वर्जित है|
आयुर्वेद में भी प्याज और लहसुन को तामसिक और शरीर की गर्मी बढ़ाने वाला बताया है|


राक्षसी गुणों से युक्त

हम जैसा आहार ग्रहण करेंगे हमारा मन और मस्तिष्क वैसा ही कार्य करेगा क्यूंकि हमारे आहार का हमारे मन ,मस्तिष्क पर बहुत गहरा असर पड़ता है इसीलिए प्याज और लहसुन रोगनाशक जरूर है पर कहीं न कहीं इनका जन्म राक्षस के द्वारा हुआ है तो इनमे राक्षसी गुण होना स्वाभाविक है| इसलिए इनके सेवन से व्यक्ति में क्रोध ,हिंसा, पाप जैसी भावनाएँ मन में जन्म लेती हैं| जिससे मनुष्य बहुत बार हिंसक हो जाता है ऐसा कहा जाता है की एक बार भगवान कृष्ण के हाथो से लहसुन गिर गया था जिसे उन्होंने फिर से स्वीकार नहीं किया था तब से भगवान कृष्ण या किसी भी देवी देवता को लहसुन ,प्याज का भोग नहीं लगाया जाता लहसुन को रजोगिनी के रूप में जाना जाता है| जिसका अर्थ है इसके सेवन से व्यक्ति अपनी इच्छाओं और जरूरतों में भेद नहीं कर पाता|

 

नवरात्रि में प्याज लहसुन का प्रयोग क्यों है वर्जित

लहसुन -प्याज शाकाहारी है या मांसाहारी

बहुत से लोगों के मन में ये प्रश्न रहता है की लहसुन -प्याज शाकाहारी है या मांसाहारी तकनीकी रूप से प्याज शाकाहारी है क्यूंकि ये पौधे से प्राप्त होता है
पर इसका सेवन करने से काम वासना उत्तेजित होती है,इसके अलावा धार्मिक कार्यों जैसे - व्रत ,उपवास में भी इसका सेवन करना वर्जित माना गया है|इसलिए कोई भी व्यक्ति जो कृष्ण भगवान की पूजा करते है या लड्डू गोपाल की सेवा करते है ऐसे व्यक्ति कभी भी प्याज या लहसुन का सेवन नहीं करते|


नजर दोष को दूर करने में सहायक

लहसुन प्याज से रोग और शरीर के विकार तो दूर होते ही हैं इसके साथ ही नजर दोष दूर करने में भी बहुत सहायक है नजर से पीड़ित किसी व्यक्ति के सर पर से सात बार प्याज फेर कर जलाने से नजर दोष दूर होता है|

अधिक मात्रा में सेवन से हानि

प्याज और लहसुन का सेवन बहुत अधिक मात्रा में करना हानिकारक हो सकता है जो लोग बहुत ज्यादा मात्रा में कच्चे प्याज का सेवन करते हैं उनको नींंद की कमी हो सकती है। ऐसे में आपकी स्लीपिंग साइकिल डिस्टर्ब हो सकती है|प्याज और लहसुन का गुण तामसिक है और इसी कारण इनमे ऐसे तत्व विध्यमान हैं जिससे क्रोध की अधिकता रहती है क्रोध के साथ साथ अन्य नकरात्मक प्रवृति भी मनुष्य में आने लगती है इसलिए धार्मिक कार्यों में इसका उपयोग नहीं होता|

 

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